गांधीनगर। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के चलते भाजपा अपना पूरा ज़ोर लगा रही है लेकिन आदिवासी क्षेत्र अभी भी भाजपा के लिए चुनौती बने हुए हैं। इस बार भी भाजपा के लिए दक्षिण गुजरात ही सबसे बड़ी समस्या है वहीं झगड़िया सीट का उम्मीदवार भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है।
दक्षिण गुजरात मे एक समय में आदिवासी नेता अमरसिंह चौधरी का वर्चस्व हुआ करता था। अमर सिंह चौधरी कांग्रेसी नेता थे। उनके बाद भरूच की झगड़िया सीट पर आदिवासी नेता छोटू वसावा का वर्चस्व हो गया वह लगातार वहां से जीतने लगे, छोटू वसावा ने 1990 से लगातार झगड़िया सीट पर जीत दर्ज की है। आदिवासियों के लिए ज़मीन के अधिकार को लेकर संघर्ष करने वाले छोटू वसावा का वर्चस्व अधिक होता चला गया।
छोटू वसावा ने 2002 के बाद से लगातार भाजपा के साथ चुनाव लड़ा लेकिन अब वसावा ने भाजपा को छोड़कर अपनी पार्टी बीटीपी बनाई है और वह इस चुनाव को अपनी ही पार्टी के टिकट पर लड़ रहे हैं। छोटू वसावा के नाम यह रिकार्ड है कि, वह जबसे चुनाव लड़ रहे हैं एक बार भी नहीं हारे, यह सीट भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
गुजरात में भले ही भाजपा 27 वर्षों से राज कर रही है लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस का सफाया करने में भाजपा असमर्थ रही है। पिछले चुनावों में पाटीदार समुदाय भाजपा के खिलाफ था जिसके चलते भाजपा 182 सीटों वाले गुजरात चुनाव में महज 99 सीटों पर ही सिमट गई।
हम आपको बता दें कि दक्षिण गुजरात मे 35 सीटें आती हैं पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 25 सीटें मिलीं जबकि 10 सीटें कांग्रेस एवं अन्य दलों के खाते में आईं।
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