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मेनका गांधी ने सेनेटरी पैड पर GST को सही ठहराया, बताया- क्यों नहीं हटना चाहिए टैक्स

नई दिल्लीः फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पैडमैन’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की मुहिम चलाई जा रही हैं. यह फिल्म माहवारी के प्रति सावधानी और सेनेटरी पैड के इस्तेमाल पर आधारित है. कहीं ‘पीरियड्स’ पर खुलकर बात करने की अपील की जा रही है तो कहीं सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी हटाने की मुहिम चलाई जा रही है. इस विषय पर बुधवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया कि क्यों सेनेटरी पैड पर 12 फीसदी जीएसटी लगाना सही है.

मेनका गांधी ने पैड पर टैक्स का समर्थन करते हुए कहा कि यह 18 फीसदी से कम हो गया है. इस समय भारतीय बाजार पर मल्टीनेशनल कंपनियों का राज है, इसलिए इन कंपनियों पर भी 12 फीसदी जीएसटी लगेगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो पूरा बाजार खत्म हो जाएगा. इससे स्वदेशी पैड भी खत्म हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि मंत्रालय पहली बार सेनेटरी नैपकिन को अन्य माध्यमों से उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है. अन्य निजी संस्थाओं को पैड बनाने के लिए सरकार प्रोत्साहित कर रही है. मेनका गांधी ने बताया कि इन नैपकिन को नष्ट करना भी चिंता का विषय है. सरकार इस विषय पर काम कर रही है और उन्हें विश्वास है कि जल्द इसका समाधान निकाल लिया जाएगा.

सरकार स्कूलों में सेनेटरी पैड मुहैया कराने के लिए संस्थाओं, एनजीओ आदि का अनुदान बढ़ाने और पैड नष्ट करने वाली मशीनें उपलब्ध कराने के लिए नीति आयोग, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय से बात कर रहा है. साथ ही हम इस पर भी विचार कर रहे हैं कि क्या सभी सांसदों से कहा जाए कि वह सांसद निधि से अपने इलाकों में ऐसी मशीनें लगवाएं जिनसे महिलाओं को कम कीमत पर सेनेटरी पैड मिल सकें. उन्होंने कहा कि जल्द ही नीति आयोग के साथ हम इन सब मसलों पर मीटिंग करेंगे. इससे पहले मेनका गांधी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर GST के अंतर्गत ईको-फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन को टैक्स फ्री करने की अपील की थी.

पैडमैन फिल्म के हीरो अक्षय कुमार भी कह चुके हैं कि सरकार चाहे तो सेनेटरी नैपकिन पर से जीएसटी न हटाए लेकिन गांवों, कस्बों आदि में महिलाओं को इसे मुफ्त उपलब्ध कराएं. बताते चलें कि पैडमैन फिल्म में अक्षय कुमार तमिलनाडु के रहने वाले अरुणाचलम मुरुगनाथम की भूमिका निभाने जा रहे हैं, जो कि वास्तविक जीवन में माहवारी (पीरियड) से जुड़ी समस्याओं पर काम कर रहे हैं. उन्‍हें ‘पैडमैन’ के नाम से भी जाना जाता है. अरुणाचलम ने महिलाओं की इस पीड़ा को समझते हुए सस्ते सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया. हाल में एक इंटरव्यू में अरुणाचलम ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उनकी जिंदगी पर फिल्म बनेगी. बता दें कि साल 2016 में अरुणाचलम को ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था.

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Aanchal Pandey

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