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CBI vs CBI: राफेल समेत इन सात मामलों की जांच की वजह से तो नहीं गिरी सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर सरकार की गाज?

नई दिल्ली. सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों (सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना) का आपसी झगड़ा इस कदर बढ़ गया कि सरकार को उन दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजकर नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाना पड़ा. दोनों अधिकारियों की इस आपसी कलह में सीबीआई की काफी किरकिरी हुई है. वर्मा और अस्थाना की लड़ाई ने विपक्षी पार्टियों को केंद्र सरकार पर निशाना साधने का मौका भी दे दिया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार आलोक वर्मा राफेल समेत कुल सात मामलों पर जांच कर रहे थे. माना जा रहा है कि इन मामलों की जांच में खुलासा होने परकई सफेदपोश बेनकाब हो सकते थे.

1- राफेल मामले की जांच

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने 4 अक्टूबर, 2018 को सीबीआई निदेश आलोक वर्मा के पास 132 पन्नों की फाइल भेजी थी. इस फाइल में तीनों ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. आलोक वर्मा ने इस मामले में जांच पूरी कर ली थी. सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार वर्मा इस मामले में कुछ दिनों में एक्शन लेने वाले थे. लेकिन वो कोई कार्रवाई करते इससे पहले राकेश अस्थाना के साथ विवाद के कारण उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया. उनके स्थान पर एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया.

2. राकेश अस्थाना से जुड़े कांड की फाइल

सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. इन सभी मामलों की जांच आलोक वर्मा कर रहे थे. आलोक वर्मा संदेसरा और स्टर्लिंग बायोटेक मामले में अस्थाना की संलिप्तता की जांच कर रहे थे. इसकी जांच भी लगभग पूरी हो चुकी थी. इस मामले में सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय भी जांच कर रहा है.

3. वित्त सचिव के खिलाफ आपराधिक मामले की जांच

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी की शिकायत पर आलोक वर्मा केंद्रीय वित्त सचिव हंसमुख अधिया के खिलाफ जांच कर रहे थे.

4. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया घूस कांड की जांच

आलोक वर्मा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) में हुई नियुक्तियों के बदले घूस की जांच कर रहे थे. इस मामले में हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज इशरत मसरूर का नाम सीधे तौर पर सामने आ रहा था. सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट भी तैयार कर ली थी, जिस पर आलोक वर्मा के हस्ताक्षर होने बाकी थे.

5. कोयला खान आवंटन में घोटाला

कोयला खदान आवंटन में कथित भ्रष्टाचार के मामले में पीएम के पूर्व सचिव पर गंभीर आरोप लग रहे थे. इसकी जांच भी अंतिम चरण में थी.

6. घूस लेकर सरकारी भर्ती

सीबीआई ने अक्टूबर में दिल्ली निवासी एक कारोबारी के घर पर रेड की थी. इस छापेमारी में 3 करोड़ की नकदी मिली थी. इसमें कई नेताओं के नाम कथित तौर पर सामने आए थे.

7. मेडिकल दाखिलों में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसएन शुक्ला का नाम सामने आया था. आरोप थे कि जस्टिस शुक्ला ने मेडिकल दाखिले के बदले घूस ली थी. मामला मीडिया में आने के बाद से जस्टिस शुक्ला छुट्टी पर चल रहे थे. इस मामले में बनी फाइल पर आलोक वर्मा के साइन होने बाकी थे.

CBI Director Alok Verma and Rakesh Asthana Feud:मोदी सरकार से पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी सीबीआई निदेशक पर गिरी थी गाज, हटाए गए थे त्रिनाथ मिश्रा

Aanchal Pandey

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