देश में इन दिनों बैंकों से जुड़े कई घोटालों के खुलासे हो रहे हैं. अब एक और बैंकिंग घोटाला सामने आया है. यूपी के हापुड़ स्थित शुगर मिल सिंभावली शुगर्स लिमिटेड पर ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) से करीब 110 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. ओबीसी की शिकायत पर सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज किया है. हैरानी वाली बात यह है कि सीबीआई की एफआईआर में पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद और कंपनी में डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गुरपाल सिंह का भी नाम है. निरव मोदी, रोटोमैक लोन और द्वारका दास सेठ इंटरनेशनल कंपनी (हीरा कारोबारी, दिल्ली) मामले में भी जांच जारी है.
हापुड़ः पंजाब नेशनल बैंक, रोटोमैक और द्वारका दास सेठ इंटरनेशनल कंपनी (हीरा कारोबारी, दिल्ली) के बाद अब एक और बड़ा घोटाला सामने आया है. ताजा मामला यूपी के हापुड़ स्थित देश की सबसे बड़ी चीनी मिलों की गिनती में आने वाली सिंभावली शुगर्स लिमिटेड से जुड़ा है. जांच एजेंसी सीबीआई ने शुगर मिल और कुछ अधिकारियों के खिलाफ करीब 110 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) की शिकायत पर यह केस दर्ज किया गया है. गौर करने वाली बात यह है कि सीबीआई की FIR में कंपनी के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह का भी नाम शामिल है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीआई की FIR में शुगर मिल के चेयरमैन गुरमीत सिंह मान, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गुरपाल सिंह समेत करीब एक दर्जन लोगों के नाम हैं. आरोप है कि चीनी मिल ने साल 2012 में 5700 गन्ना किसानों को पैसे देने के नाम पर ओबीसी से 150 करोड़ रुपये का लोन लिया था. मिल ने इस पैसे को किसानों को देने के बजाय निजी इस्तेमाल में खर्च किया. साल 2015 में मिल का यह लोन नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) में बदल गया. मिल की ओर से पिछला बकाया चुकाने के लिए 109 करोड़ रुपये का लोन मांगा गया. मिल पर पहले से एनपीए के बावजूद बैंक ने 109 करोड़ का कॉरपोरेट लोन मंजूर कर दिया गया. बाद में लोन की यह रकम भी एनपीए में बदल गई.
बैंक की ओर से दी गई शिकायत में कहा गया कि सिंभावली शुगर्स को गन्ना किसानों को गन्ने की खेती करने के लिए कर्ज देने की मंजूरी दी थी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2011 में जारी किए गए एक परिपत्र के आधार पर 2012 में बैंक ने इस लोन को मंजूरी दे दी थी. लोन के तहत 25 जनवरी, 2012 से 13 मार्च, 2012 के दौरान 5762 किसानों को अप्रूव किए गए लोन के तहत करीब 148.59 करोड़ रुपये का कुल ऋण की राशि का भुगतान कर दिया गया. इस मामले में 5762 खाते खोले गए और फिर लोन ट्रांसफर किया गया. बाद में यह पूरी राशि कुछ दिन बाद वापस मिल के अकाउंट में चली गई और मिल ने इसे किसी दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया. हालांकि, करीब 60 करोड़ रुपये कंपनी ने किश्तों के जरिए बैंक को लौटा दिए थे लेकिन बाकी 90 करोड़ रुपये वापस नहीं किए गए. जिसका ब्याज लगाकर कुल बकाया करीब 110 करोड़ रुपये हो गया.
लोन की किश्ते रुकने के बाद बैंक द्वारा जांच की गई. जांच में पता चला कि शुगर कंपनी ने किसानों के नाम पर गलत केवाईसी प्रमाण पत्र जारी किया था. कंपनी ने बैंक के अकाउंट से दूसरे बैंकों को पैसा ट्रांसफर किया था, इसलिए धनराशि का दुरूपयोग हुआ. दिया गया लोन पहले से आपूर्ति की गई गन्ने के बकाया का भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया गया. फिलहाल सीबीआई ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. गौरतलब है कि इससे पहले हीरा कारोबारी निरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11 हजार करोड़ रुपये के घोटाले को अंजाम दिया. जिसके बाद रोटोमैक पेन बनाने वाली कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी पर बैंकों के साथ 3,700 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा. फिर दिल्ली में ओबीसी बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने ज्वैलरी बनाने वाली एक कंपनी द्वारका दास सेठ इंटरनेशनल के खिलाफ 390 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया.
पीएनबी घोटाले पर पहली बार बोले पीएम मोदी, कहा- जनता के पैसों की लूट बिलकुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी