CBI Director Alok Verma cancels transfers ordered: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पद पर बहाल हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा अंतरिफ चीफ नियुक्त किए गए नागेश्वर राव के ट्रांसफर फैसले को निरस्त कर दिया है. सीबीआई के दो अधिकारियों के बीच चली इस वरिष्ठता की जंग और भ्रष्ट्राचार के आरोपों के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सीवीसी की सिफारिश पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ निदेशक आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी.
नई दिल्ली: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने अंतरिम चीफ नियुक्त किए गए नागेश्वर राव द्वारा किए गए सभी ट्रांसफर ऑर्डर कैंसिल कर दिया है. नागेश्वर राव ने आलोक वर्मा टीम के 10 आधिकारियों का स्थानांतरण किया था. पद पर वापस बहाल हुए आलोक वर्मा ने यह फैसला अपने प्रशासनिक हैसियत से लिया है. बता दें कि इससे पहले नागेश्वर राव के सीबीआई अंतरिम चीफ नियुक्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नए अंतरिम चीफ कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते हैं. ऐसे में ट्रांसफर करना प्रशासनिक प्रक्रिया में आता है, इसलिए नागेश्वर राव ने 10 अधिकारियों का ट्रांसफर किया था.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सीबीआई में वरिष्ठता की जंग को लेकर चले घमासान के बाद सीबीआई निदेशक वर्मा और सीबीआई के डेप्यूटी राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. केद्र सरकार के इस आदेश को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार के पास सीबीआई निदेशक को हटाने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि सीबीआई निदेशक के खिलाफ जब तक जांच चलेगी तब तक वों कोई नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार की तरफ से सफाई देते हुए अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार ने सीबीआई चीफ को सीवीसी के आदेश पर छुट्टी पर भेजा था. इस फैसले के पीछे सरकार की कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी.
सीबीआई के इतिहास में यह पहली बार था जब सीबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भष्ट्राचार के आरोप लगें थे. इस मामले के बाद सीबीआई की साख भी गिरी. सीबीआई पर पहले से ही आरोप लगते रहें है कि जिसकी सरकार होती है सीबीआई उसी का मिट्ठूी मिया बनता है. इस आरोप के बाद सीबीआई और केंद्र सरकार दोनों की किरकिरी हुई थी. केंद्र सरकार के इस फैसले का विपक्ष ने जमकर विरोध किया था.