नई दिल्ली. राहुल गांधी ने लोकसभा में जातीय जनगणना को लेकर जिस तरह से दहाड़ा उसी अंदाज में भाजपा सांसद और पूर्व मंत्री अनुराग ठाकुर ने जवाब दिया. हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने यहां तक कह दिया कि जिसकी जाति का पता नहीं वह जाति जनगणना की बात कर रहा है.
इस पर राहुल गांधी ने तो संयम बरता और कहा कि वह भाजपा नेता से माफी मांगने को नहीं कहेंगे लेकिन सपा प्रमुख और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव आग बबूला हो गये और कहा कि जाति कैसे पूछ सकते हैं. पीएम ने एक्स पर पोस्ट डालकर अनुराग ठाकुर की पीठ थपथपाई तो बसपा प्रमुख मायावती से रहा नहीं गया और उन्होंने भी पोस्ट डालकर सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों पर ताबड़तोड़ हमले किये.
मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- कल संसद में ख़ासकर जाति व जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस व बीजेपी आदि में जारी तकरार नाटकबाज़ी तथा ओबीसी समाज को छलने की कोशिश है. इनके आरक्षण को लेकर दोनों ही पार्टियों का रुख गरीब विरोधी रहा है, इन पर विश्वास बिल्कुल नहीं कर सकते.
मायावती ने लिखा कि बीएसपी के प्रयासों से यहाँ लागू हुई ओबीसी आरक्षण की तरह ही राष्ट्रीय जातीय जनगणना जनहित का एक ख़ास राष्ट्रीय मुद्दा है जिसके प्रति केन्द्र का गंभीर होना जरूरी है.
देश के विकास में करोड़ों ग़रीबों-पिछड़ों व बहुजनों का योगदान और हक है जिसकी पूर्ति में जातीय जनगणना की अहम भूमिका. इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुराग ठाकुर की पीठ थपपाई थी और कहा था कि अनुराग ठाकुर का भाषण सुनने लायक है.
कांग्रेस-सपा ने मिलकर भाजपा को घेरा
दरअसल विपक्ष खासतौर से कांग्रेस और सपा को यह भरोसा हो गया है कि उसका पिछड़ा कार्ड काम कर गया है. पहली बार पिछड़ों के साथ दलितों का भी वोट मिला है लिहाजा उसी हिसाब से राहुल गांधी और अखिलेश यादव जाति जनगणना को लेकर काफी आक्रामक हैं. आपको बता दे कि कांग्रेश लंबे अरसे तक जाति जनगणना का विरोध करती रही लेकिन जब उसे लगा कि यह कार्ड सत्ता में वापसी करा सकता है तो उसने यू टर्न ले लिया और जाति जनगणना की मांग जोर शोर से उठाने लगी.
राहुल-अखिलेश पूछते हैं पत्रकारों की जाति
राहुल गांधी पहरुआ बनकर उभरे और प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों की जाति पूछने लगे. ठीक इसी तरह से अखिलेश यादव भी पत्रकारों की जाति पूछते रहे हैं और अपनी भड़ास निकालते रहे हैं और अब वही संसद में कह रहे हैं कि अनुराग ठाकुर जाति कैसे पूछ सकते हैं.
मायवती की असली टीस ये है
चूंकि 2024 के चुनाव में मायावती का किला बुरी तरह से दरका है और उन्हें वोट कटवा मानकर मानकर दलितों-मुस्लिमों ने किनारा करना शुरू कर दिया लिहाजा वह चौकन्नी हैं और पिछड़ो को आगाह कर रही है कि जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस व भाजपा में जारी तकरार नाटकबाज़ी तथा ओबीसी समाज को छलने की कोशिश है. दोनों का इतिहास बताता है कि ये पिछड़ा विरोधी हैं.
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