नई दिल्ली. कैंब्रिज एनालिटिका के खुलासों ने भारत ही नहीं दुनियाभर में हलचल मचा दी है. सोशल डेटा के एनालिटिक्स यानि विश्लेषण का काम करने वाली इस कंपनी ने दावा किया है कि उसने 2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए काम किया था. यह मामला सामने आने के बाद बिहार की राजनीति में भी हलचल मच गई है. इस मामले में जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी का भी नाम आ रहा है. केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी इस कंपनी के इंडियन पार्टनर हैं. ओवलीनो बिजनेस इंटेलीजेंस (ओबीआई) की मानें तो भारत में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीयू इसके क्लाइंट हैं. ओबीआई सीए की भारतीय शाखा है जो यहां एनालिसिस का काम देखती है. ओबीआई का काम केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी देखते हैं. अमरीश त्यागी ने स्वीकार भी किया है कि झारखंड में यूथ कांग्रेस, बीजेपी और जेडीयू ने रिसर्च के लिए ओबीआई की सेवाएं ली हैं. लेकिन इस विवाद के सामने आने के बाद अमरीश त्यागी ने अपनी साइट बंद कर दी है.
कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) का आधिकारिक तौर पर गठन 2013 में किया गया था इससे पहले इसकी लंदन स्थित पैतृक कंपनी स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस लैबोरेटरीज (एससीएल) काम कर रही थी. माना जा रहा है कि एससीएल ने यही यह जानकारी सीए पर अपलोड की है. 2010 में बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी जेडीयू के साथ थे. जेडीयू ने सत्ता में आने के बाद उन्हें फाइनेंस डिपार्टमेंट सौंपा था.
कंपनी ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया है कि बिहार में जेडीयू इस कंपनी की क्लाइंट थी. सीए ने दावा किया है कि 2010 में सीए को जेडीयू ने मतदाताओं के विश्लेषण के लिए अनुबंधित किया था. जिसके नतीजे उसने भारी जीत के साथ दिए. कंपनी का दावा है कि 2010 में कंपनी की वजह से उसके क्लाइंट को 90 प्रतिशत ज्यादा सीटें मिलीं. जेडीयू पहले से ही सत्ता में थी. 2010 के चुनाव में 243 सीटों की विधानसभा में उसकी सीट संख्या 88 से बढ़कर 115 हो गई. कंपनी के इस खुलासे ने नीतीश कुमार की गठबंधन की सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया है. फिलहाल बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चला रहे हैं. सुशील मोदी राज्य के उप मुख्यमंत्री हैं.
आप खुद कैंब्रिज एनालिटिका की साइट पर इस दावे को पढ़ सकते हैं. ये रहा लिंक-
ये रहे 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे…
2010 में जेडीयू 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें से उसने 115 सीटें जीती थीं. बीजेपी 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें उसने 91 सीटें जीती थीं. आरजेडी 168 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें उसे 22 सीटों पर जीत मिली थी. लोक जनशक्ति पार्टी को 75 में से 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ी थी उसे सिर्फ 4 सीटें मिली थीं. सीपीआई 56 सीटों पर चुनाव लड़ी थी उसे सिर्फ 1 सीट मिली थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा 41 सीटों पर लड़ी थी उसे सिर्फ 1 सीट मिली थी. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी 6 सीटों पर जीते थे.
2005 के इलेक्शन में जेडीयू 138 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे सिर्फ 55 पर जीत मिली, वहीं बीजेपी को 103 में से 37 सीटें मिली थीं. वहीं कांग्रेस को 84 में से 10 और राजद को 210 सीटों में से 75 सीटें मिली थीं. इसके बाद बीजेपी और जेडीयू ने राजद को 22 सीटों पर समेट दिया था. इन आंकड़ों और सीए के दावों पर विचार करें तो यह कंपनी का दावा सही बैठता है कि उसने जनता का मूड परिवर्तित कर दिया. क्योंकि माना जाता है कि अकसर सत्ताधारी पार्टी के विरोध में रुझान रहता है इसके बावजूद बीजेपी और जेडीयू गठबंधन भारी जीत हासिल करने में कामयाब रहा.
जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी की सफाई
इस मामले में नाम आने पर जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने पार्टी की तरफ से सफाई दी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और वो कभी भी इस कंपनी के सीईओ से नहीं मिले. केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू एक सामाजिक संगठन है और उसका इस तरह की कंपनियों से किसी तरह का वास्ता नहीं है. केसी त्यागी ने अपने बेटे के कैंब्रिज एनालिटिका के बीच संबंधों को सिर्फ कारोबारी बताया. उन्होंने इस मामले की जांच को भी तैयार रहने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इस आरोप में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने 2010 में पार्टी के प्रचार और प्रसार में मदद की थी.
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