September 8, 2024
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उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जल्द, क्या बीजेपी कर पाएगी पलटवार या सपा फिर मारेगी बाजी ?

  • WRITTEN BY: Aniket Yadav
  • LAST UPDATED : June 13, 2024, 7:19 pm IST
Lucknow: लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी को अपार सफलता मिली थी. जहां पहले पार्टी के प्रदेश में मात्र 5 सांसद थे जिसकी संख्या इस चुनाव में बढ़कर 37 हो गई है. समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव में इतनी बड़ी जीत दर्ज की है कि उसने अपने ही सबसे ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड तोड़ दिया  है. तो वहीं बीजेपी के लिए ये लोकसभा चुनाव बुरे सपने जैसा साबित हुआ, जहां पार्टी को पिछले लोकसभा चुनाव में 62 सीटें जीती थी और प्रदेश की सबसे पार्टी बनकर उभरी थी. तो इस बार बीजेपी को मात्र 33 सीटों पर ही जीत मिली. इसके अलावा बीजेपी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होनें का तमगा भी सपा ने छीन लिया है. अब समाजवादी पार्टी 37 सीटोंं के साथ प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी है. प्रदेश में सपा-बीजेपी दोनों ने मौजूदा विधायकों को भी लोकसभा चुनाव में टिकट दी थी. जिसमें कई विधायकों ने चुनाव भी जीता और वे अब लखनऊ छोड़कर दिल्ली जाने के मूड में है. तो ऐसे में सवाल है कि उत्तर प्रदेश में जिन 9 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं जिसमें चार पर सपा और पांच पर बीजेपी के विधायक थे. क्या दोनों पार्टियां इन सीटों को एकबार फिर रिटेन कर पाएंगी. या सपा एकबार फिर खेला कर पाएगी ?

सपा की 4, बीजेपी की 5 सीटों पर होगा उपचुनाव

विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 111 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बीजेपी ने 255 सीटें जीतकर सूबे में अपनी सरकार बनाई थी. अब सपा के 4 विधायकों और बीजेपी के पांच विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. अब ये विधानसभा से इस्तीफा देकर लोकसभा पहुंचेंगे.

सपा-बीजेपी की साख का चुनाव

ये उपचुनाव उत्तर प्रदेश की दो सबसे बड़ी पार्टियों सपा-भाजपा की साख का होने वाला है. क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी अपनी खोई हुई साख को वापस लेने के लिए जद्दोजहद करते नजर आएगी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनाव में जीत दर्ज कर बीजेपी आलाकमान को ये संदेश देना चाहेंगे कि यूपी में एक चुनाव में हार से मेरी यूपी पर पकड़ कमजोर नही हुई है.
तो वहीं अखिलेश यादव यदि ये उपचुनाव की 6-7 सीटें भी जीत लेते हैं तो बीजेपी के लिए फिर दोबारा उत्तर प्रदेश में वापसी करना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि इस लोकसभा चुनाव में अखिलेश का PDA का निकल पड़ा है. यदि दलितों ने उपचुनाव में भी अखिलेश यादव का साथ दे दिया और वे हिंदुत्व के मुद्दे पर नही फिसले तो अखिलेश की 2027 की तैयारी भी 2024 से शुरू हो जाएगी.

करहल-मिल्कीपुर होंगी हॉटसीट

अखिलेश यादव के कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अब वो अपनी करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा देंगे. इस सीट पर अखिलेश यादव अपने भतीजे तेजप्रताप यादव को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं. क्योंकि वो पिछले काफी समय से मैनपुरी और कन्नौज की सीटों पर एक्टिव थे.
पहले अखिलेश तेज को कन्नौज सीट उम्मीदवार बनाने वाले थे बाद में उन्होंने खुद इस सीट से चुनाव लड़ने का मन बना लिया और तेजप्रताप के हाथों सीट आते आते चली गई.
उत्तर प्रदेश की दूसरी सबसे हॉटसीट फैजाबाद के अंतर्गत आने वाली मिल्कीपुर होगी. मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद अब फैजाबाद से जीतकर सांसद बन गए हैं. अब उनके सीट छोड़ने के बाद यहां उपचुनाव होना है. फैजाबाद में मिली हार के बाद बीजेपी समर्थक हैरान हैं क्योंकि जहां राम मंदिर का मुद्दा इतना गरमाया था और बीजेपी के काम करने के बावजूद उन्हें वहां हार का मुंह देखना पड़ा. बीजेपी फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट को जीतकर फैजाबाद सीट की हार का बदला लेना चाहेगी.

उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटें, जहां होने हैं उपचुनाव

1- मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट
2- फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट
3- अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट
4- मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट
5- अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट
6- गाजियाबाद की सदर
7- प्रयागराज की फूलपुरविधानसभा सीट
8- मीरांपुर विधानसभा सीट
9- मिर्जापुर की मझवा विधानसभा सीट
इसके अलावा अखिलेश यादव ने समाजवादी के बागी विधायकों पर भी एक्शन लेने के मूड में हैं. अखिलेश यादव सपा के बागी विधायकों जिन्होंने राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी का साथ दिया था और अब भी खुले आम बीजेपी के साथ हैं व कुछ बागी विधायक वापस आना चाहते हैं लेकिन पार्टी प्रमुख उन्हें लेने के लिए तैयार नही हैं. इन बागी विधायकों मनोज पांडे, पूजा पाल, राकेश पांडे, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य जैसे विधायक हैं. हो सकता है अखिलेश यादव विधानसभा से इनकी सदस्यता रद्द करवा दें और इन विधायकों की सीटों पर भी उपचुनाव हो सकता है. अब देखना है कि क्या बीजेपी समाजवादी के निष्कासित विधायकों को ही चुनाव मैदान में उतारेगी या किसी और को.

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