बीजेपी ने निर्मला सीतारामन और नरेंद्र तोमर को हिमाचल में सीएम के नाम पर सहमति बनाने के लिए भेजा था. लेकिन यहां जयराम ठाकुर और प्रेमकुमार धूमल गुट के लोग नारेबाजी करने लगे. मीटिंग से किसके नाम पर सहमति बनी है इसका एलान दिल्ली से होगा.
शिमला. हिमाचल प्रदेश में सीएम पद पर बैठक करने गई बीजेपी के पर्यावेक्षकों की टीम हंगामे के बीच लोगों की राय लेकर दिल्ली लौटेगी. दिल्ली आने के बाद ही हिमाचल के सीएम के नाम का ऐलान किया जाएगा. बताया जा रहा है कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रवैये से कई विधायक, पूर्व मंत्री नाराज दिखे. उन्होंने दबी जुबान में कहा कि किसी से मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा नहीं की गई.
आपको बता दें कि बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में विजेता विधायकों का मन टटोलने के लिए पर्यवेक्षकों का दल शिमला भेजा था. यहां मुख्यमंत्री की रेस में पांच लोग हैं जिनमें जयराम ठाकुर का नाम सबसे आगे चल रहा है. यहां मीटिंग के दौरान धूमल के समर्थकों ने नारेबाजी मांग की कि धूमल को ही राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाए. पार्टी के सामने विकट स्थिति यह है कि धूमल गुट जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाए जाने से सहमत नहीं है. ऐसे में पार्टी धूमल को मनाने में जुटी हुई है. सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी धूमल को राज्यसभा भेज सकती है या उन्हें राज्यपाल भी बनाया जा सकता है. इसी बीच जयराम ठाकुर के धूमल से भी मुलाकात की बात सामने आ रही है. सूत्रों के अनुसार, आज शाम विधायक दल की बैठक बुलाई सकती है. मौजूदा स्थिति को लेकर निर्मला सीतारमण और नरेन्द्र सिंह तोमर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे.
केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के नाम की भी चर्चा है. वह इसी राज्य से हैं और राज्यसभा सदस्य हैं और फिलहाल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं. राज्य में मुख्यमंत्री कौन हो, इसी सिलसिले में सीतारमण और तोमर ने पार्टी की प्रदेश इकाई की कोर कमेटी से मुलाकात की, जिसमें धूमल, प्रदेश पार्टी प्रमुख सतपाल सिंह सत्ती और राज्य से सभी पांच सांसद तथा संगठन सचिव पवन राणा शामिल रहे. उन्होंने कोर ग्रुप के साथ बैठक करने से पहले पीटरहॉफ में कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया.
बीजेपी के सीएम फेस पर से धुंध हटाने शिमला पहुंचे पर्यवेक्षकों से बैठक करने आए पार्टी के वरिष्ठ सांसद शांता कुमार बेहद दुखी हुए. उनका दुख इस बात को लेकर था कि पर्यवेक्षकों के सामने धूमल-जयराम के समर्थकों ने नारेबाजी की. इसे शांता सीधे-सीधे अनुशासनहीनता मानते हैं. इतना ही नहीं, गुस्साए शांता कहते हैं कि अगर मैं अध्यक्ष होता तो नारेबाजी करने वाले कार्यकर्ताओं को बाहर का रास्ता दिखा देता.
शांता जिस वक्त पीटरहॉफ पहुंचे तो वहां नारेबाजी कर रहे धूमल-जयराम के समर्थकों ने पर्यवेक्षकों को घेर रखा था. इससे पहले ऐसी ही नारेबाजी बीते कल भी हो चुकी है. शांता इस सबको लेकर बेहद खफा हैं. बहरहाल, पर्यवेक्षकों के साथ बैठक के बाद शांता कुमार ने कहा कि उन्होंने सीएम के चेहरे को लेकर अपनी राय दे दी है, अब जो भी फैसला होगा वो केंद्रीय हाईकमान तय करेगा. शांता कुमार ने जयराम के समर्थन में संकेत देते हुए कहा कि सीएम को लेकर जनता ने अपना फैसला दे दिया है. जनता का रुझान किस तरफ है वह भी पता चल चुका है.