BJP MP Sharad Tripathi BJP MLA Rakesh Singh Baghel Fight: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अपनी ही पार्टी के विधायक पर जूते बरसा कर भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी ने बड़ी गलती कर दी है. जानकारों का कहना है कि इस घटना के बाद अब शरद त्रिपाठी को लोकसभा का टिकट भाजपा नहीं देगी. बता दें कि सांसद और विधायक के बीच हुए इस मारपीट में सांसद शरद त्रिपाठी ने विधायक राकेश सिंह बघेल पर आठ बार जूते से वार किया. जबकि विधायक राकेश सिंह बघेल ने सांसद पर दो घूसे चलाए.
नई दिल्ली. BJP MP Sharad Tripathi BJP MLA Rakesh Singh Baghel Fight: “विनाश काले विपरीत बुद्धि” हिंदी पट्टी का यह कहावत आज भारतीय जनता पार्टी के सांसद शरद त्रिपाठी पर सटीक बैठ रही है. लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले शरद त्रिपाठी ने बुधवार को अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल पर जूते बरसाकर बड़ी गलती कर दी. शिलापट्ट पर नाम प्रकाशित करवाने की मामूली विवाद में सांसद महोदय का ब्लड प्रेसर इतना बढ़ा कि उन्होंने विधायक राकेश सिंह बघेल पर भरी सभा में जूते चला दी. शरद त्रिपाठी के इस बर्ताव के पूरे कारण पूरे देश में भाजपा की छवि धूमिल हुई है. लोगों का कहना है कि भाजपा नेता की आपस में ही नहीं बनती तो वे लोगों का क्या ख्याल रखेंगे. साथ ही इस विवाद ने यूपी सरकार और पुलिस-प्रशासन के कामकाज पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया.
राजनीति के विशेषज्ञों का कहना है कि इस विवाद के बाद भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी को शायद ही लोकसभा 2019 चुनाव का टिकट मिल सके. मालूम हो कि चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की घोषणा जल्द जारी करने वाली है. इसी बीच संतकबीरनगर के भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी ने अपने राजनीतिक करियर पर बड़ा दाग लगा लिया. निसंदेह सांसद ने विधायक पर जूते चलाए. लेकिन मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि पैर से जूते निकालने का प्रयास पहले विधायक राकेश सिंह बघेल ने किया था. जिसपर तैश में आए सांसद ने जूते निकाल कर झटाझट सात जूते जड़ दिए.
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देश और बीजेपी की सियासत पर गहरी समझ रखने वाले लोगों का कहना है कि इस विवाद के कारण सांसद शरद त्रिपाठी को लोकसभा का टिकट नहीं मिलेगा. लोगों का कहना है कि इस मामले का प्रभाव विधानसभा चुनाव तक तो हल्का हो जाएगा लेकिन हाल ही में होने वाले लोकसभा चुनाव में यह मसला प्रत्याशियों का नाम तय करते समय पार्टी आलाकमान में दिमाग में होगी. बता दें कि शरद त्रिपाठी ने 2014 लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी भीमशंकर उर्फ कुशल तिवारी को हराया था. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि मोदी लहर में कई नये चेहरे चुनाव जीतने में सफल हुए थे. लेकिन इस बार सपा-बसपा गठबंधन के बाद भाजपा प्रत्याशी तय करने में खासी सर्तकता बरत रही है. ऐसी स्थिति में इस विवाद के बाद शरद त्रिपाठी को टिकट मिलने की संभावना ना के बराबर है.
जानकारों का यह भी कहना है कि इस विवाद को जाति का रंग भी दिया जाएगा. बता दें कि शरद त्रिपाठी ब्राह्मण (सवर्ण) है. जबकि विधायक राकेश सिंह बघेल पिछड़ी जाति से है. इस विवाद के बाद यह बहस तेज होगी कि एक सवर्ण सांसद ने पिछड़ी जाति के विधायक को भरी सभा में जूतों में पीटा. विपक्षी दल (सपा-बसपा) भी इस मुद्दें को भुनाने की कोशिश करेंगे. इस तमाम मसलों को देखते हुए कहा जा रहा है कि शरद त्रिपाठी का भाजपा की ओर से सांसदी का चुनाव लड़ना नामुमकिन है.