नई दिल्ली। धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि, धर्मांतरण को निर्धारित करने के लिए एक विधेयक तैयार करने का निर्देश दिया जाए। इस अनुरोध को लेकर न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने […]
नई दिल्ली। धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि, धर्मांतरण को निर्धारित करने के लिए एक विधेयक तैयार करने का निर्देश दिया जाए। इस अनुरोध को लेकर न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि, धर्मांतरण नहीं बल्कि उनकी पीठ जबरन धर्मांतरण के खिलाफ है।
धर्मांतरण को लेकर विरोध करना भाजपा का कोई ताजा मुद्दा नहीं बल्कि उनके पुराने मुद्दों मे से एक मुद्दा है, लेकिन इसमें एक भ्रम की भावना बनी रहती है कि, भाजपा धर्म परिवर्तन के खिलाफ है या जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ। क्योंकि अनेक बयानों में धर्मांतरण एवं जबरन धर्मांतरण को लेकर भाजपा के बयानों में किसी भी प्रकार की स्पष्टता नहीं दिखाई दी है। जिसको लेकर लोगों समेत शायद न्यायमूर्ति भी भ्रम की स्थिति में हैं।
किसी भी धर्म निरपेक्ष या धर्म सापेक्ष राष्ट्र जिसमें अनेक धर्मों को मानने वाले लोग निवास करते हैं, वहां के नागरिकों को अपने मनचाहे धर्म को अपनाने या फिर धर्म को छोड़ने का अधिकार प्राप्त होता है। धर्म सापेक्ष कहे जाने वाले पाकिस्तान में भी अनेक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है।
वहां पर निवास करने वाले मस्लिमों की बड़ी संख्या ने या तो नास्तिकता को अपनाया है, या तो अन्य समुदाय को अपना लिया है, यही घटना बांग्लादेश में भी देखने को मिली है।
किसी भी व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन एक असहनीय अपराध है, जिसके लिए सजा का भी प्रावधान है, हम आपको बता दें कि, जबरन धर्म परिवर्तन के अपराध से पहले धर्म परिवर्तन करवाने वाला व्यक्ति उस अपराध के लिए दोषी होता है, जिस चीज का भय दिखाकर वह किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करवाता है।
दूसरी बात आती है लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने की इसको स्पष्ट करना आसान नहीं है कि, व्यक्ति ने लालच मे आकर धर्म परिवर्तन किया है या नहीं क्योंकि लालच को न्यायालय मे साबित नहीं किया जा सकता है, हां यदि धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति चल एवं अचल संपत्ति में किसी भी प्रकार की वृद्धि हुई है तो उसकी जांच अवश्य हो सकती है।
धर्म परिवर्तन को लेकर न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने धर्मांतरण को लेकर सुनवाई करते हुए कहा कि, उनकी पीठ धर्मांतरण के खिलाफ नहीं है बल्कि जबरन धर्मांतरण अपराध की श्रेणी में आता है।