Bihar Muzaffarpur Shelter Home Case in Supreme Court: बिहार शेल्टर होम केस में सीबीआई जांच अधिकारी के तबादला मामले में नागेश्वर राव को न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे दिन कोर्ट में बैठने की सजा दी है. साथ ही सीजेआई ने नागेश्वर राव पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया है. मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल की दलीलों को नहीं माना.
नई दिल्ली. Bihar Muzaffarpur Shelter Home Case in Supreme Court: बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सीबीआई जांच अधिकारी एके शर्मा के तबादला के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाया है. मंगलावार को सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई करते हुए सीबीआई के पूर्व निदेशक नागेश्वर राव को पूरे दिन कोर्ट में बैठने और एक लाख का जुर्माना लगाने की
सजा सुनाई है.
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सीबीआई की ओर से भारत के अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल ने बहस की. वेणुगोपाल ने बहस के दौरान यह कहा कि नागेश्वर राव ने हलफनामा दाखिल करते हुए बिना शर्त माफी मांगी है. लेकिन सीजेआई रंजन गोगोई ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए CBI के पूर्व निदेशक नागेश्वर राव को पूरे दिन कोर्ट में बैठने की सजा सुनाई है. साथ ही एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है.
Chief Justice of India Ranjan Gogoi says 'for contempt of court we impose a fine of Rs 1 lakh and direct him(former CBI interim director M Nageshwar Rao) to sit in one corner of the court till the court rises for the day' #MuzaffarpurShelterHome https://t.co/Xzr7kcBYd8
— ANI (@ANI) February 12, 2019
सुनवाई में अर्टानी जनरल ने कहा कि नागेश्वर राव ने अपने हलफनामे में इस बात को स्वीकार किया कि उनसे गलती हुई लेकिन यह गलती जानबूझ कर नही की गई. बता दें कि शेल्टर होम केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच की जा रही है. जिस समय नागेश्वर राव सीबीआई के अंतरिम निदेशक थे, तब उन्होंने जांच अधिकारी का तबादला कर दिया था. राव के इस फैसले पर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी.
अर्टानी जनरल की दलीलों पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा कि नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी थी. मुख्य न्यायधीश ने पूछा कि शेल्टर होम के जांच अधिकारी एके शर्मा को रिलीव करने का नोट राव के पास पहुँचा और उन्होंने रिलीविंग लेटर पर साइन कर दिए.
गोगोई ने आगे कहा कि नागेश्वर राव ने ट्रांसफर करने से पहले ये जरूरी नही समझा कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया जाए.
रंजन गोगोई ने आगे कहा कि वो हलफनामा कहाँ है जो सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने था? सीजेआई ने कहा कि एके शर्मा का तबादला करने से पहले नागेश्वर राव ने लीगल सलाह नहीं मांगी. सीजेआई ने आगे कहा कि नागेश्वर राव ने ऐसा नही किया. उन्होंने हलफनामा दाखिल नही किया. अगर ये मामला कोर्ट की अवमानना का नही बनता तो कौन सा बनेगा.
सीजेआई रंजन गोगोई ने अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि नागेश्वर राव को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना क्यों नहीं माना जाए. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सीजेआई ने कहा कि अगर ट्रांसफर कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने कर बाद किया जाता तो कौन सा आसमान गिर जाता. बताते चले कि शेल्टर होम केस में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई थी.
कोर्ट की इस टिप्पणी पर अर्टानी जनरल ने नागेश्वर राव का बचाव करते हुए कहा कि उनका करियर 32 साल तक बेदाग रहा है. कृपया उनके प्रति नरम रूख अपनाया जाए. लेकिन इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाते हुए सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के करियर पर बड़ा दाग लगाने वाला फैसला दिया.
Bihar Muzaffarpur Shelter Home Case in Supreme Court: मुजफ्फपुर शेल्टर होम मामले में बिहार सरकार के बाद सीबीआई को जमकर पड़ी कोर्ट से फटकार, अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को कोर्ट में पेश होने का आदेश