Bihar RJD Mahagathbandhan Failed in BJP Narendra Modi Wave: बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एलजेपी अध्यक्ष और केंद्री मंत्री रामविलास पासवान का अनुभव आरजेडी के तेजस्वी यादव और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई वाले छह दलों के विपक्षी गठबंधन की हवा निकाल दी है. हालत ये है कि छह दलों का विपक्षी गठबंधन को छह सीटें भी नसीब नहीं हो रही हैं. एनडीए बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 38 पर बढ़त बनाए हुए हैं वहीं यूपीए को मात्र दो सीटों पर बढ़त हासिल है.
पटना. बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेडीयू अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एलजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की तिकड़ी ने आरजेडी की अगुवाई वाले छह दलों के विपक्षी गठबंधन की ऐसी हालत कर दी है कि तेजस्वी यादव की आरजेडी और राहुल गांधी की कांग्रेस की अगुवाई में 6 पार्टियों के महागठबंधन को 6 सीट तक नसीब नहीं हो रहा. हालत तो इतनी खराब है कि महागठबंधन की 6 पार्टियों में 5 पार्टियों का खाता तक नहीं खुलता दिख रहा है. वो भी तब जब बीजेपी से कुछ समय पहले ही नाता तोड़कर लालू यादव के साथ हुए आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा उजियारपुर और काराकाट दो सीट से लड़े और दोनों सीटों से ही हारते दिख रहे हैं.
बिहार में 2019 लोकसभा चुनावों से पहले कई बदलाव हुए. उपेंद्र कुशवाहा मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे लेकिन उन्होंने चुनावों से पहले सीट पर तनातनी को लेकर बिहार में गठबंधन का दामन थामा था. रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दो सीटों से चुनाव लड़े और उजियारपुर में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय जबकि काराकाट में जेडीयू के महाबली सिंह के हाथों हारते नजर आ रहे हैं. तेजस्वी यादव की अगुवाई में आरजेडी के साथ कांग्रेस, जीतनराम मांझी की हम पार्टी, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी और आरा में माले के साथ गठबंधन करने वाले विपक्षी दलों ने गठबंधन के जरिए तमाम जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की थी.
रुझानों में एनडीए को बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 38 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. छह दलों वाले विपक्ष को केवल 2 सीटों पर बढ़त हासिल है. साफ है कि बिहार की जनता ने जातीय समीकरणों को धता बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता पर मुहर लगाई है. बीजेपी की अगवाई वाले NDA को 55 फीसदी वोट शेयर मिला है तो वहीं छह दलों वाले विपक्ष को मात्र 27 फीसदी वोट प्राप्त हुए हैं. RJD गठबंधन से दुगने वोट शेयर पाने वाले NDA ने विपक्ष को केवल 2 सीटों पर समेट दिया है. कह सकते हैं बिहार में मोदी लहर में विपक्ष तिनके की तरह उड़ गया है.
फिर सबसे सटीक राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक साबित हुए रामविलास पासवान
लालू यादव ने लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के लिए कहा था कि वो मौसम वैज्ञानिक हैं. उन्हें पता चल जाता है कि किसकी सरकार आने वाली है और वह उसी दल के साथ जुड़ जाते हैं. रामविलास पासवान की राजनीतिक चतुराई रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा पर भारी पड़ी. उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र का मंत्री पद छोड़कर विपक्ष का दामन थामा था. अभी तक के रुझानों के मुताबिक रालोसपा का खाता खुलता भी नजर नहीं आ रहा है. वहीं रामविलास पासवान का राज्यसभा जाना तय है. जमुई से उनके बेटे चिराग पासवान भी बढ़त बनाए हुए हैं. उम्मीद की जा रही है कि चिराग पासवान को मंत्री पद दिया जा सकता है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर दबे-छुपे शब्दों में पार्टी में जो रोष था अब उसके सतह पर आने की उम्मीद है. पार्टी सूत्रों ने टिकट बंटवारे में तेजस्वी की मनमानी का जिक्र करते हुए बताया था कि आरजेडी का एक बड़ा वर्ग इससे नाराज है. तेजस्वी जिस तरह से सीनियर नेताओं से सलाह-मशवरा किये बिना अपने फैसले लेते रहे हैं, चुनाव परिणाम के बाद उन्हें भी जवाब देना मुश्किल होने वाला है. नीतीश कुमार भी 2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ लड़े थे और उनकी पार्टी महज दो सीटों पर सिमट गई थी. कुछ समय आरजेडी के साथ गठबंधन में रहने के बाद नीतीश अपने पुराने सहयोगी बीजेपी के पास वापस लौट आए. इसका फायदा उनकी पार्टी को भी होता दिखाई दे रहा है. बिहार में बीजेपी और जेडीयू ने बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा है. नीतीश की पार्टी सबसे अधिक फायदे में रहने वाली है क्योंकि बीजेपी जो पिछले चुनावों में अकेले 22 सीटें जीती थी वो इस बार उतनी सीटों पर लड़ भी नहीं रही. कह सकते हैं कि बिहार में नीतीश और मोदी की जोड़ी का काट विपक्ष नहीं ढूंढ पाया है.
जातिवादी समीकरण ध्वस्त
बिहार में विपक्षी गठबंधन में सभी जातियों को साधने की कोशिश हुई. आरजेडी का कोर वोट यादव और मुस्लिम माना जाता है. महादलित तबके को रिझाने के लिए जीतनराम मांझी को विपक्ष ने अपने साथ मिलाया. मल्लाह तबका बिहार में बड़ी संख्या में है. मुकेश साहनी को 3 सीटें देना का फैसला भी हैरानी भरा था लेकिन यहां भी कोशिश जातीय गणित साधने की थी. उपेंद्र कुशवाहा के आने के बाद विपक्ष को उम्मीद थी कि कुशवाहा लामबंद हो जाएंगे. उपेंद्र कुशवाहा ने कई बार अपने जाति के लोगों को एकजुट करने के लिए समय-समय पर बयान जारी करते रहे.
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल मध्य स्तर के रुझानों के बाद लिखा गया है. कई राउंड की वोटिंग हो चुकी है. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 38 सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी आगे हैं. उनकी बढ़त का मार्जिन लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में अंतिम परिणामों में बहुत बदलाव की संभावना नहीं है मामूली फेरबदल हो सकता है, इस के आधार पर यह विश्लेषण किया जा रहा है.