आजम खान को डर ‘कभी भी हो सकता है उनका एनकाउंटर’

लखनऊ। आखिरकार लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आजम खान आज जेल से बाहर आ गये  मगर जेल से बाहर आते ही उन्हें इस बात का डर है कि उनका एनकाउंटर हो सकता है। बता दें कि ये बात आजम खान ने पत्रकारों से बातचीत की दौरान कही है। उन्होंने कहा कि जब वे जेल में थे […]

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आजम खान को डर ‘कभी भी हो सकता है उनका एनकाउंटर’

Pravesh Chouhan

  • May 20, 2022 6:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ। आखिरकार लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आजम खान आज जेल से बाहर आ गये  मगर जेल से बाहर आते ही उन्हें इस बात का डर है कि उनका एनकाउंटर हो सकता है। बता दें कि ये बात आजम खान ने पत्रकारों से बातचीत की दौरान कही है। उन्होंने कहा कि जब वे जेल में थे तो उनसे एक दारोगा उनका बयान लेने आया था, इस दौरान दारोगा ने उनसे कहा था बचकर रहें, जमानत मिलने के बाद अगर रामपुर आएं तो अंडरग्राउंड ही रहें तो बेहतर हैं आपका एनकाउंटर भी हो सकता है। फिलहाल 27 महीने के बाद जेल से बाहर आए आजम खान रामपुर अपने घर पहुंच चुके हैं। 

40 साल का सफर यूँ ही नहीं जाएगा बेकार

आजम खान ने आगे आपातकाल के दौरान पौने दो साल जेल में बिताने का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार फिर हालात ने उनसे कड़ी कुर्बानी ली है. उन्होंने कहा कि 40 साल का उनका सफर यूँ ही बेकार नहीं जाएगा, दिन दरख्तों को समझा जा रहा है कि ये सूख गए हैं लेकिन उनमें फिर बहार आएगी. साथ ही यहाँ अपनों के बीच उनका दर्द छलक आया, रिहाई के बाद उन्होंने कहा कि उनके साथ, उनके परिवार और शहर के साथ जो कुछ हुआ है उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता. घर पहुंची भीड़ का शुक्रिया अदा करते हुए आजम खान ने कहा, ”मेरे शहर को उजाड़ दिया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि यहाँ तुम्हारी आबादी है. तारीख को तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है लेकिन दर्द की वो तारीख कभी भुलाई नहीं जा सकती.”

बड़ी संख्या में स्वागत के लिए पहुंचे लोग

सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद रामुपर पहुंचे आजम खान का रास्ते में कई जगहों पर स्वागत किया गया. स्वागत सत्कार के बीच जब वे घर पहुंचे तो घर पर भी उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी थी. कार्यकर्ताओं को कार से ही संबोधित करते हुए आजम खान ने न्यायपालिका का भी शुक्रिया किया. आजम खान ने अपने जेल के अनुभव पर कहा कि उन्हें जेल में इस तरह रखा गया था जैसे अंग्रेजों के जमाने में उन कैदियों को रखा जाता था जिन्हें दो-तीन दिन में फांसी होने वाली होती थी. उनकी बैरक के पास ही फांसी घर भी था, उन्होंने कहा उन्होंने जेल में कैसे वक्त गुजारा है, ये वे ही जानते हैं. पत्नी और बच्चे के आने के बाद खुद को बहुत ही तन्हा महसूस किया.

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