अहमदाबादः गुजरात के साबरकांठा जिले में एक 14 माह की बच्ची से दुष्कर्म की घटना के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर एक बार फिर हमले की खबरें मिल रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार को दो जगहों पर गैर-गुजरातियों (खासकर यूपी-बिहार निवासी) पर हमले किए गए. डरे-सहमे यूपी, बिहार के लोग अब गुजरात छोड़ने को मजबूर हैं. गुजरात के डीजीपी शिवानंद झा ने लोगों के पलायन पर कहा कि किसी को भी गुजरात छोड़ने की जरूरत नहीं है. अब तक कुल 44 केस दर्ज कर 342 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
बताया जा रहा है कि रविवार को वघोड़िया इंडस्ट्रियल क्षेत्र की दो इंजीनियरिंग कंपनियों में काम करने वाले गैर-गुजरातियों पर कोटांबी और कामरोल गांव के एक दर्जन से ज्यादा लोगों ने हमला बोल दिया. हमले में कुछ लोगों को चोटें आई हैं. वहीं न्यू रानिप इलाके में भी यूपी-बिहार निवासियों के साथ हिंसक झड़प की खबरें मिली हैं. संवेदनशील इलाकों में भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई है. फिलहाल हालात काबू में हैं. डीजीपी शिवानंद झा ने कहा कि यूपी-बिहार के लोगों के साथ हिंसक मामलों में 6 जिलों प्रभावित हुए हैं. हालांकि उनके गुजरात से अपने गृहराज्य जाने का कारण हिंसा नहीं बल्कि त्योहार हैं.
साबरकांठा और मेहसाणा में सबसे अधिक हिंसक वारदातें सामने आई हैं. साबरकांठा में जहां 11 तो मेहसाणा में 15 केस दर्ज किए गए हैं. दोनों ही जगहों पर करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा गांधीनगर में 3 मामलों में 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अहमदाबाद, अहमदाबाद ग्रामीण, सुरेंद्रनगर और अरावली में 15 केस दर्ज कर 100 से ऊपर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. डीजीपी झा ने कहा कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज वायरल करने वाले 6 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है. संवेदनशील क्षेत्रों में 17 कंपनियों को तैनात किया गया है. पुलिस उपद्रवियों से सख्ती से निपट रही है.
क्या है मामला?
साबरकांठा जिले में पिछले महीने 28 सितंबर को एक 14 माह की बच्ची के साथ रेप की घटना सामने आई थी. इस मामले में बिहार के एक युवक को गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद गुस्साए स्थानीय गुजरातियों ने गैर-गुजरातियों (खासकर यूपी-बिहार) को निशाना बनाना शुरू कर दिया. सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज भेजे जाने लगे और देखते ही देखते यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ माहौल बनने लगा. विधायक अल्पेश ठाकोर ने आरोप लगाया कि हिंसा के इन मामलों में उनके समर्थकों के खिलाफ फर्जी केस दर्ज किए जा रहे हैं. अगर सरकार इन मामलों को वापस नहीं लेती है तो 11 अक्टूबर से वह ‘सद्भावना’ उपवास करेंगे.
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