वाराणसी. ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में वाराणसी जिला कोर्ट का फैसला आ गया है और जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया है. जिला कोर्ट के जज अजय कृष्णा विश्वेश ने ये फैसला सुनाया है, उन्होंने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लायक बताया है, […]
वाराणसी. ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में वाराणसी जिला कोर्ट का फैसला आ गया है और जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया है. जिला कोर्ट के जज अजय कृष्णा विश्वेश ने ये फैसला सुनाया है, उन्होंने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लायक बताया है, अब इस मामले में 22 सितंबर को सुनवाई होगी. अब इस फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि ज्ञानवापी केस भी बाबरी मस्जिद केस के रास्ते जा रहा है.
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस पर आए जिला कोर्ट के फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जो ऑर्डर आया है उससे देश में बहुत सी चीजें शुरू हो जाएंगी और हर कोई कोर्ट में जाकर यह कहेगा कि 15 अगस्त 1947 से पहले से हम यहां पर थे. ऐसे में 1991, वर्शिप एक्ट का मकसद तो पूरा फेल ही हो जाएगा न. ओवैसी ने कहा कि वर्शिप एक्ट इसलिए लाया गया था ताकि इस तरह के विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएं. लेकिन अब कोर्ट के ऑर्डर से लगता है कि हम 80-90 के दशक में वापस जा रहे हैं जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इसके साथ ही ओवैसी यह भी बोले कि ज्ञानवापी केस बाबरी मस्जिद की दिशा में जाता दिख रहा है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महल ने एक बयान जारी कर कहा कि इस पूरे फैसले को पढ़ा जाएगा और उसके बाद ही आगे क्या करना है, ये तय किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद मामले में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के वर्शिप एक्ट के सिलसिले में जो कहा था, उससे उम्मीद जगी थी कि अब देश में मंदिर-मस्जिद से जुड़े सारे विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और इस पर हमारी लीगल टीम स्टडी करेगी कि आगे क्या कदम उठाना है. मुस्लिम पक्ष अभी इस फैसले को किसी ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात साफ-साफ नहीं कह रहा है, लेकिन माना यही जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे सकता है.
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