नई दिल्ली : दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से दिल्ली में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की बात-मुलाकात के अर्थ तलाशे जा रहे हैं. यह सिर्फ दो नेताओं के सामान्य संवाद का मामला नहीं है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बिहार में बीजेपी से अलग होने के बाद विपक्षी दलों को मिलाकर राष्ट्रीय मोर्चा बनाने का प्रयास प्रारंभिक कदमों के बाद ठिठक-सा गया था. बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के सिंगापुर से लौटते ही इस प्रयास में प्रगति लाने का प्रयास प्रारंभ कर दिया गया है. आम आदमी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के दोनों शीर्ष नेताओं के मिलने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
बिहार में बीजेपी और महागठबंधन के दल आमने-सामने का मोर्चा संभाल चुके हैं. लालू प्रसाद यादव के दिल्ली आने के मात्र 3 दिनों के भीतर तेजस्वी पहले तो रांची में झारखंड के सएम हेमंत सोरेन से मिलते हैं. फिर अगले ही दिन दिल्ली में लंबे अंतराल के बाद सीएम केजरीवाल से संवाद करते हैं. राजनीतिक मंच पर दोनों नेताओं की यह मुलाकात अगस्त 2018 के बाद हुई है.
लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही समय बचा हुआ है और अब विपक्षी पार्टियों एकजुट होने की कोशिश कर रही है. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव काफी सक्रिय नजर आ रहे है. बीजेपी हमेशा चुनावी मोड में रहती है, बीजेपी के वरिष्ठ नेता राज्यों का दौरा करते रहते है. केंद्रीय गृहमंत्री एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह 25 फरवरी को बिहार के बगहा में जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं. उसी दिन पूर्णिया में महागठबंधन की भी रैली प्रस्तावित है. स्पष्ट है कि गोलबंदी और शक्ति प्रदर्शन का प्रयास दोनों तरफ है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के बुलावे पर हेमंत सोरेन और केजरीवाल पूर्णिया भी जा सकते हैं.
भारतीय जनता पार्टी के नाम पर अभी तक विपक्ष दो धड़ों में बंटा दिख रहा है. राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस अलग रास्ते पर चल रही है तो सीएम केजरीवाल और केसीआर की पटरी भी अलग है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पत्ते नहीं खोले हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार का भी अलग कोण है. अपनी पार्टी का राष्ट्रीय नाम प्रदान करने के बाद तेलंगाना के खम्मम में केसीआर ने जनसभा बुलाने के बहाने विपक्षी राजनीति को दो दिशाओं में बढ़ने की राह बनाई.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान को तो बुलाया मगर नीतीश और तेजस्वी को बुलाने की जरूरत नहीं समझी. इन दोनों का कांग्रेस से वैसा विरोध तो बिल्कुल नहीं है जैसा केसीआर, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और ममता का है.
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