Amit Shah Narendra Modi Relationship Connection: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी भारतीय राजनीति में सबसे सफल और मजबूत राजनेताओं की जोड़ी है जिन्होंने केंद्र की सत्ता से कांग्रेस को बाहर करने के बाद कांग्रेस मुक्त भारत अभियान के तहत एक के बाद एक आधे से ज्यादा भारतीय राज्यों में भाजपा की सरकार बनाई है. पर सबसे दिलचस्प बात, नरेंद्र मोदी और अमित शाह पहली बार कब मिले, नरेंद्र मोदी और अमित शाह का रिश्ता इतना गहरा क्यों है. ये खबर, उसकी तलाश की एक कोशिश है जो हमेशा अधूरी रहेगी क्योंकि ये सिर्फ मोदी और शाह ही जानते हैं कि वो क्यों एक-दूसरे के अनुपूरक हैं.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह कई बार एक-दूसरे के पूरक लगते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार चलाते हैं, देश चलाते हैं और अमित शाह उस पार्टी भाजपा को चलाते हैं जो देश को चलाने वाली सरकार की अगुआ पार्टी है. ये बहुत आम बात है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह का गुजरात कनेक्शन है इसलिए दोनों एक-दूसरे को बहुत पसंद करते हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह के रिश्ते में बहुत खास बातें भी हैं जो बार-बार जुदा होने के बाद फिर मिले, फिर मिले और अब दोनों ने मिलकर आधे से ज्यादा भारत को भगवा सरकार दे दी है, आधे से ज्यादा भारत को कांग्रेस मुक्त कर दिया है और भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया है.
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की ये जोड़ी कैसे बनी, कब बनी और दोनों के रिश्ते कैसे इस कदर मजबूत हो गए कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पार्टी की जीत का सफर बढ़ाने के लिए अमित शाह को गुजरात से दिल्ली लाया. अमित शाह बीजेपी के पहले ऐसे अध्यक्ष बने जो पद पर आसीन होने के वक्त संसदीय राजनीति के हिसाब से मात्र विधायक थे और पीएम, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, सांसदों से संपन्न उनकी पार्टी केंद्र में सरकार चला रही थी. नरेंद्र मोदी का नाम इतिहास में जब-जब लिया जाएगा, वो अमित शाह के बिना अधूरा ही रहेगा. ये बहुत कम लोगों को पता होगा कि दोनों का ही ये साथ चौथी बार का है. इससे पहले तीन बार मोदी और शाह परिस्थितियों के चलते अलग हो चुके थे लेकिन ऊपर वाले की इच्छा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह बार-बार साथ आते रहे. आज मोदी के साथ-साथ शाह भी देश के सबसे ताकतवर लोगों में शुमार हैं. ऐसे में उनकी पहली मुलाकात के बारे में लोग जरूर जानना चाहेंगे.
नरेंद्र मोदी तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के संभाग प्रचारक हुआ करते थे. इस नाते अहमदाबाद के कई विधानसभा क्षेत्रों में मोदी का आना-जाना होता था. हर प्रचारक का सुबह संघ की शाखाओं में जाना तय ही होता है. ऐसे ही नारंगपुरा की एक शाखा में नरेंद्र मोदी की पहली मुलाकात अमित शाह से हुई थी. अमित शाह उस समय अपने पिता का पीवीसी पाइपों का बिजनेस संभाल रहे थे और पढ़ते हुए संघ से भी जुड़े हुए थे. प्रचारकों का संघ की शाखा में शामिल होने वाले सारे स्वयंसेवक काफी सम्मान करते हैं. वहीं प्रचारकों की नजर भी नए कार्यकर्ताओं की तलाश में रहती है, खासकर युवाओं की. मोदी और शाह के अटल रिश्तें की नींव यहीं पड़ी. लेकिन बाद में ये संपर्क कट गया था. अमित शाह ने विद्यार्थी परिषद में काम करना शुरू कर दिया जहां वो 1983 से लेकर 1986 तक सक्रिय रहे. उनको फिर नरेंद्र मोदी तब मिले, जब गुजरात में वो बड़े पदों पर काम कर रहे थे और काफी ताकतवर हो चुके थे.
अमित शाह मोदी की काफी इज्जत करते थे और उनके कई कार्यक्रमों के लिए साधन-संसाधन और कार्यकर्ता से लेकर समर्थकों की जरूरत को आसानी से पूरा भी कर देते थे. एक नेता को और क्या चाहिए. शाह में वो सारे गुण थे जो मोदी के लिए उनको अपना चहेता बनाने के लिए चाहिए होते. अमित शाह ने मोदी से बीजेपी में जाने की इच्छा जाहिर की तो मोदी उनको लेकर शंकर सिंह बाघेला के पास गए. वाघेला उन दिनों गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष थे. वाघेला से मोदी ने कहा- ये अमित शाह हैं, प्लास्टिक के पाइप बनाने का काम करते हैं, अच्छे व्यवसायी है, आप इन्हें पार्टी का कुछ काम दे दीजिए.
यही वो मोड़ था जहां से अमित शाह की राजनीति का रास्ता खुला और फिर वो बीजेपी की यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के छोटे तालुका पद से राष्ट्रीय महासचिव तक के पद तक पहुंचे. ये जानना भी काफी दिलचस्प है कि मोदी ने अमित शाह को बीजेपी में तो शामिल करवाया लेकिन वो खुद बीजेपी में बाद में शामिल हुए इसलिए वो पार्टी के अंदर अमित शाह के जूनियर हैं. अमित शाह की एंट्री के एक साल बाद मोदी को संघ ने बीजेपी में भेजा था.