लखनऊ. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. नेता जी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह ने गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली है. उनके बेटे अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं […]
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. नेता जी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह ने गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली है. उनके बेटे अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे.
अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते कैसे थे इसका पता तो इसी बात से चल जाता है कि अखिलेश यादव ने एक बार कहा था कि नेता जी कब राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते हैं और कब पिता, इसका तो पता ही नहीं चल पाता। दरअसल, कई बार नेता जी सभा में अखिलेश यादव को डांट-फटकार लगा चुके हैं.
साल 1990 की बात है, 12वीं पास कर के अखिलेश इटावा अपने घर लौट आए थे, उस दौरान मंदिर आंदोलन के चलते नेता जी कठिन संगर्ष कर रहे थे. इसी बीच नेता जी का इटावा एक रैली के संबंध में आने का कार्यक्रम बना, अखिलेश भी पिता से मिलने के लिए रैली वाली जगह पहुंचे, मुलायम सिंह यादव हेलीकॉप्टर से आए थे, अखिलेश के भी मन में हेलीकॉप्टर में बैठने की इच्छा जगी, उन्हें लगा कि नेता जी उन्हें आसानी से हेलीकॉप्टर की सवारी करवा देंगे, ऐसे में उन्होंने पिता से अपनी इच्छा जाहिर की, लेकिन जो हुआ वो उनकी कल्पना से परे था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब युवा अखिलेश ने पिता से हेलीकॉप्टर में बैठाने की ज़िद की, तो नेताजी ने सबके सामने उन्हें फटकार लगा दी और ज़ोर से कह दिया, “यह तुम्हारे लिए नहीं है.”
अखिलेश यादव की बायोग्राफी में यह बताया गया है कि साधना गुप्ता को पत्नी स्वीकार करने पर मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव से एक समझौता किया था, जिसमें उन्होंने अखिलेश यादव से कहा था कि साधना और उनके बेटे प्रतीक यादव हमेशा ही राजनीति से दूर रहेंगे, वो कभी भी राजनीति में दखल नहीं देंगे, और ऐसा हुआ भी. लेकिन जब चीजें बेहतर होने लगीं तो साधना गुप्ता की बहू और प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव ने राजनीति में कदम रख लिया, और वो भी अखिलेश के विरुद्ध.
खैर, दूसरी पत्नी को लेकर बाप-बेटे के बीच यह तनाव कोई नया नहीं है, अखिलेश हमेशा ही सार्वजनिक जगहों पर साधना गुप्ता पर बात करने से कतराते रहे हैं.
बाप और बेटे की लड़ाई साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जग जाहिर हो गई थी, नेता जी ने अखिलेश की मां को उपेक्षित कर मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता से दूसरी शादी की थी. इसी के बाद से यादव परिवार में लंबी कलह की शुरुआत हुई, जिसमें असंतुष्टों को खुश करने की भरपूर कोशिश की गई. कहा जाता है कि अखिलेश यादव को सौतेला व्यवहार अपनी नई मां से नहीं, ख़ुद अपने पिता मुलायम सिंह यादव से मिला. चौबीसों घंटे राजनीति में रमे रहने के कारण उनके पास इतना भी वक्त नहीं था कि अपने बेटे का नामकरण कर पाते, अखिलेश यादव ने अपना नाम खुद ही रखा था.
मुलायम सिंह यादव ने जब साधना गुप्ता को पत्नी का दर्जा दिया, तब से ही अखिलेश उनसे नाराज़ रहने लगे थे. मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि अखिलेश यादव साधना गुप्ता को माँ मानें.
अखिलेश यादव की मां का नाम मालती देवी था, जब उनका निधन हुआ तो नेता जी ने साधना गुप्ता के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया था. कहा जाता है कि पिता के इस फैसले से अखिलेश यादव बहुत नाराज़ थे, इसके बाद से अक्सर इस तरह की बातें सामने आती रहीं कि अखिलेश और साधना गुप्ता के बीच संबंध कभी ठीक नहीं रहे.
मेदांता अस्पताल: 93 दिन पहले जिस अस्पताल में पत्नी का हुआ निधन, नेताजी ने भी वहीं ली आखिरी सांस
Mulayam Singh Yadav Death: मुलायम सिंह यादव के निधन पर अशोक गहलोत ने जताया शोक