टीएमसी-कांग्रेस के बीच सुलह करवाने में जुटे अखिलेश, कहीं अपना ही ना काट लें पत्ता

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में रविवार,21 जुलाई को शहीद दिवस रैली की. रैली में हिस्सा लेने के लिए इंडिया गठबंधन के तमाम साथी नेता कोतकाता पहुंचे. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी रैली में पहुंचे थे. अखिलेश यादव के यूं अचानक लखनऊ छोड़कर कोलकाता पहुंचने पर […]

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टीएमसी-कांग्रेस के बीच सुलह करवाने में जुटे अखिलेश, कहीं अपना ही ना काट लें पत्ता

Aniket Yadav

  • July 21, 2024 9:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में रविवार,21 जुलाई को शहीद दिवस रैली की. रैली में हिस्सा लेने के लिए इंडिया गठबंधन के तमाम साथी नेता कोतकाता पहुंचे. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी रैली में पहुंचे थे. अखिलेश यादव के यूं अचानक लखनऊ छोड़कर कोलकाता पहुंचने पर कई राजनीतिज्ञों का मानना है अखिलेश यादव कांग्रेस और टीएमसी के बीच आई दूरियों को कम कराने में लगे हुए हैं.

टीएमसी-कांग्रेस में अनबन

लोकसभा चुनाव 2024 में टीएमसी और कांग्रेस पार्टी के बीच तकरार की खबरें खूब सुनने को मिल रही थीं. दोनों पार्टियों ने बंगाल में एक-दूसरे के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे. ममता बनर्जी ने कांग्रेस से पहले ही साफ कर दिया है कि उनका गठबंधन केंद्र स्तर पर ही है. राज्य चुनाव में वो अकेले ही मैदान में उतरेगी. उनका सीधा इशारा पश्चिम बंगाल में साल 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर था. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और कांग्रेस के बीच बढ़ती तल्खियों को कम करने के लिए ही अखिलेश यादव शहीद दिवस रैली में पहुंचे थे. ममता की रैली में जाने का एक और कारण ये भी है कि भाजपा को दिखाना है कि विपक्ष में कोई दरार नहीं है वो पूरी तरह एकजुट होकर सामना करने को तैयार है.

TMC-कांग्रेस यूपी में मजबूत तो सपा को खतरा

तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस जैसी पार्टियां यदि उत्तर प्रदेश में मजबूत होती हैं तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा अखिलेश यादव को ही उठाना पड़ेगा. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस मुसलमानों के वोटों की ही कृपा पर सरकार बनाने में सक्षम हो पाती है. कमोवेश ऐसा ही कुछ हाल यूपी में सपा का भी है. अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 में टीएमसी के लिए भदोही सीट खाली छोड़ दी थी. इस सीट पर टीएमसी प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी को 4 लाख 15 हजार वोट मिले थे और बीजेपी प्रत्याशी विनोद कुमार बिंद को 44 हजार वोटों से जीत मिली थी. टीएमसी प्रत्याशी को इतनी बड़ी संख्या में वोट मिलना इस बात का संकेत है कि ममता बनर्जी को मुस्लिम वोटर्स उत्तर प्रदेश में पसंद करते हैं.

कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस का भी है. क्योंकि कांग्रेस के लोकसभा चुनाव में 6 सीट जीतने के बाद मुस्लिम जनता में संदेश जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी भी बीजेपी का सामना कर सकती है. मुस्लिम सपा को इसलिए वोट करता है क्योंकि उनके साथ यादव वोट बैंक लगा हुआ है और कांग्रेस के साथ कोई वोट बैंक नहीं है. मुस्लिम यादव मिलने से सपा सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है. यूपी में अगर ऐसे ही अखिलेश कांग्रेस को मजबूत करते रहे तो मुस्लिमों का मिलने वाला एकमुस्त वोट भी छिटक सकता है.

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