लखनऊ, यूपी विधान परिषद में समाजवादी पार्टी से नेता विरोधी दल का पद छीन गया है, बुधवार को सपा के 2 एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो गया है, इसके बाद सपा के पास 10% से कम सदस्य बचे हैं. यूपी विधान परिषद में आजादी के बाद ये पहला मौका है, जब कोई भी नेता प्रतिपक्ष […]
लखनऊ, यूपी विधान परिषद में समाजवादी पार्टी से नेता विरोधी दल का पद छीन गया है, बुधवार को सपा के 2 एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो गया है, इसके बाद सपा के पास 10% से कम सदस्य बचे हैं. यूपी विधान परिषद में आजादी के बाद ये पहला मौका है, जब कोई भी नेता प्रतिपक्ष नहीं बनने वाला है. नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए कम से कम 10 सदस्य होने चाहिए जबकि सपा के पास महज 9 सदस्य हैं. सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त कर दी, अब वे सिर्फ सपा के नेता रह गए हैं.
बीते बुधवार यानी छह जुलाई को विधान परिषद के कुल 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया है, इनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं. वहीं, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह का कार्यकाल भी खत्म हो गया है. हालांकि, हाल में हुए विधान परिषद में 13 सीटों पर हुए चुनाव में जीत के बाद केशव और भूपेंद्र की सदन में वापसी हो गयी है.
उधर, बलराम यादव‚ डॉ. कमलेश कुमार पाठक‚ सपा के जगजीवन प्रसाद‚ रणविजय सिंह‚ राम सुंदर दास निषाद और शतरुद्र प्रकाश भी शामिल हैं, शतरुद्र प्रकाश ने पहले ही भाजपा का दामन थामा था, इसी तरह बहुजन समाज पार्टी के तीन सदस्यों में अतर सिंह राव‚ दिनेश चंद्रा और सुरेश कुमार कश्यप का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है.
2022 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद यूपी में दो बड़े रिकॉर्ड और कायम हुए हैं, पहला, नेता प्रतिपक्ष का पद खत्म हो गया है और दूसरा विधान परिषद कांग्रेस मुक्त हो गई है. उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कांग्रेस के एक मात्र सदस्य दीपक सिंह का कार्यकाल भी बीते बुधवार को समाप्त हो गया. इसके साथ ही विधानमंडल के इस उच्च सदन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब यहां देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस का वजूद ही पूरी तरह से समाप्त हो गया है.
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