नई दिल्ली: भारत की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस) के दिग्गज नेता राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता समाप्त कर दी गई है…मतलब वह अब पूर्व सांसद बन गए हैं। यह सब सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में दिए गए फैसले के कारण हुआ। दरअसल, सूरत की एक अदालत ने मोदी सरनेम के […]
नई दिल्ली: भारत की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस) के दिग्गज नेता राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता समाप्त कर दी गई है…मतलब वह अब पूर्व सांसद बन गए हैं। यह सब सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में दिए गए फैसले के कारण हुआ। दरअसल, सूरत की एक अदालत ने मोदी सरनेम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है।
हालांकि सजा के तुरंत बाद कोर्ट ने उन्हें एक महीने की जमानत भी दे दी… लेकिन अब उनकी संसद की सदस्यता रद्द कर दी गई है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि यह कैसे हुआ और देश में सांसद की सदस्यता समाप्त करने के लिए क्या कानून हैं? आइए हम आपको सब कुछ समझाते हैं।
जानकारी के लिए बता दें, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(1) और (2) में एक प्रावधान है, अगर कोई सांसद या विधायक क़त्ल, बलात्कार, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर नफरत पैदा करता है या आतंकवाद या अपराध करता है और किसी साजिश में शामिल हैं, तो संसद और विधानसभा में उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त इसी अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि उपरोक्त अपराधों के अतिरिक्त यदि विधायक या सांसद को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और 2 वर्ष से अधिक की सजा दी जाती है तो इस संबंध में विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द की जा सकती है। इसके साथ ही आपको 6 साल के लिए चुनाव में भाग लेने से भी प्रतिबंधित किया जा सकता है। हालांकि , यदि निचली अदालत द्वारा सजा दी जाती है और उच्च न्यायालय द्वारा सजा पर रोक लगा दी जाती है, तो सांसद या विधायक की सदस्यता समाप्त नहीं होगी।
राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने वाले कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा। अदालत, संसद या चुनाव आयोग। तो बता दें कि यह लोकसभा का काम है। आज लोकसभा सचिवालय ने एक नोटिस जारी कर जानकारी दी कि राहुल गांधी अब सांसद नहीं हैं। इस अधिसूचना में कहा गया था कि वायनाड लोकसभा के केरल मुख्यालय से सांसद राहुल गांधी फैसले के दिन यानी 23 मार्च 2023 को अयोग्य हैं। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102(1) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया था।
फिलहाल निचली अदालत के फैसले के चलते राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता चली गई है। इसका मतलब यह नहीं है कि राहुल गांधी की सदस्यता वापस नहीं ली जा सकती। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी अब इस मामले को हाई कोर्ट और गुजरात के सुप्रीम कोर्ट में ले जा सकते हैं। अगर निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा तो राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया तो राहुल गांधी फिर से सांसद माने जाएंगे।