फोटो प्रोफाइल: अरविंद केजरीवाल के 20 विधायकों को चुनाव आयोग से अयोग्य करवाने वाले 30 साल के वकील प्रशांत पटेल उमराव

अरविंद केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव 2019 से एक साल पहले 30 साल के नौजवान वकील प्रशांत पटेल उमराव ने लाभ के पद यानी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में बहुत बड़ा झटका दे दिया है. प्रशांत के आवदेन पर राष्ट्रपति भवन से 21 आप विधायकों के खिलाफ लाभ के पद की शिकायत चुनाव आयोग गई थी और उसने करीब तीन साल बाद अपनी सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है जिसमें 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने और विधायकी खत्म करने की रिपोर्ट है. 21 में 1 जरनैल सिंह पहले ही इस्तीफा देकर पंजाब चुनाव लड़ चुके हैं और उनकी राजौरी गार्डेन सीट आम आदमी पार्टी बीजेपी के टिकट पर लड़े अकाली दल के मनजिंदर सिंह सिरसा के हाथों गंवा चुकी है.

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फोटो प्रोफाइल: अरविंद केजरीवाल के 20 विधायकों को चुनाव आयोग से अयोग्य करवाने वाले 30 साल के वकील प्रशांत पटेल उमराव

Aanchal Pandey

  • January 19, 2018 9:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. फिल्म जॉली एलएलबी में जज सुंदर लाल त्रिपाठी जब जॉली से पूछते हैं कहां से एलएलबी की है आपने, तो वो बताता है कि मेरठ से, तो जज व्यंग्यात्मक लहजे से कहते हैं, ‘’तभी अपील को एप्पल और प्रॉसीक्यूशन को प्रॉस्टीट्यूशन लिख रहे हो’’. मेरठ में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी है जिससे जॉली ने एलएलबी की थी. अब उसी यूनिवर्सिटी के निकले एक वकील प्रशांत पटेल उमराव ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को हिलाकर रख दिया है.

प्रशांत नाम के इस वकील ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ के पद नाम के एक ही गेंद में केजरीवाल सरकार के 20 विधायकों के विकेट गिरा दिए हैं. महज 30 साल के प्रशांत की स्कूलिंग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्कूलों यानी सरस्वती शिशु मंदिर और सरस्वती विद्या मंदिर में हुई है और उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल पर उनके पोस्ट और तस्वीरों से आरएसएस की तरफ उनका झुकाव साफ दिखता है.

एक और दिलचस्प बात ये है कि प्रशांत पटेल कानपुर के हैं और उनकी पेटिशन पर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने के चुनाव आयोग के फैसले पर आखिरी फैसला राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लेना है और संयोग से वो भी कानपुर के हैं. इस कैम्पेन की शुरुआत भी ऐसे ही हुई थी. प्रशांत पटेल को लगा कि भले ही आप विधायक सरकारी बंगले या गाड़ी ना लेने का दावा करें लेकिन पार्लियामेंट्री सेक्रेट्री यानी संसदीय सचिव का पद लेकर वो आम विधायकों से तो अलग और विशिष्ट रुतबे वाले हो ही गए हैं. रुतबा ताकत और फायदा लेकर आता है. ऐसे में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बनता है. प्रशांत ने अपनी शिकायत सीधे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से की जिन्होंने उनकी शिकायत चुनाव आयोग को भेज दिया और मामला शुरू हो गया.

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बीच में कई पड़ाव आए. मसलन जब केजरीवाल ने विधानसभा में संसदीय सचिवों के पद को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे से बाहर रखने का बिल पास किया तो उसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया. चुनाव आयोग ने विधायकों की अपील खारिज कर दी कि उनके खिलाफ केस खत्म कर दिया जाए. अब चुनाव आयोग का फैसला आ गया है और वो फैसला राष्ट्रपति के पास गया है कि लाभ के पद पर होने के कारण 20 विधायकों की सदस्यता खत्म कर दी जाए. अंतिम फैसला राष्ट्रपति कोविंद को लेना है जो शनिवार या उसके बाद किसी भी दिन अपना फैसला गृह मंत्रालय को अधिसूचना जारी करने के लिए भेज देंगे.

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प्रशांत पटेल कानपुर के फतेहपुर में पैदा हुए. स्कूलिंग संघ के संगठन विद्या भारती से जुड़े स्कूलों से की. उसके बाद इलाहाबाद के इविंग क्रिश्चियन कॉलेज से कम्यूटर एप्लीकेशन और फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया और यहीं से कैरियर में हर युवा की तरह कन्फ्यूजन भी शुरू हो गया. पोस्ट ग्रेजुएशन करने नोएडा के फुटवीयर डिजाइन और डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट आ गए. एमबीए की डिग्री रखने वाले एलएलबी डिग्री धारक प्रशांत कहते भी हैं कि वो गलती से नहीं, पसंद से वकील बने हैं.

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प्रशांत के लिए ये मामला बड़ा हो सकता है लेकिन पहला तो कतई नहीं है. शुरू से ही प्रशांत पटेल ने किसी ना किसी मुद्दे को या तो सोशल मीडिया पर या फिर याचिकाओं के जरिए उठाकर अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की है. आमिर खान की फिल्म पीके के खिलाफ पहली एफआईआर का क्रेडिट प्रशांत पटेल खुद लेते हैं और सेंसर बोर्ड चीफ लीला सैम्सन के खिलाफ अपनी शिकायत से इस्तीफा का क्रेडिट भी वो लेते हैं. जेएनयू मामले में प्रशांत पटेल ने उमर खालिद और कन्हैया कुमार की बेल के खिलाफ याचिका दाखिल की.

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प्रशांत के कैम्पेन उनको वामपंथी राजनीति के खिलाफ और भाजपा या राष्ट्रवादी राजनीति के साथ दिखाते हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 96 साल से रमजान के दिनों में ब्रेकफास्ट और लंच नॉन मुस्लिमों को नहीं दिया जाता था. प्रशांत ने मुहिम चलाई और एएमयू को नियमों में बदलाव करना पड़ा. प्रशांत राज्यसभा टीवी में अनियमितताओं और गड़बड़ियों के खिलाफ मुहिम चलाने और एक्शन होने का दावा करते हैं. इतना ही नहीं प्रशांत का दावा है कि जिस डॉक्टर कफील को गोरखपुर बीआरडी ह़ॉस्पिटल केस में मीडिया ने हीरो बनाया, उसकी कलई खोलने के सोशल मीडिया कैम्पेन में वो शामिल थे.

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चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल के 20 MLA की विधायकी खत्म करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी, संसदीय सचिव लाभ का पद मामला

प्रशांत पटेल को राजनीतिक गुण विरासत में मिले हैं. उनके पिता टीचर होने के साथ साथ यूपी की बिंदकी तहसील में केन कॉपरेटिव सोसायटी के चेयरमेन भी हैं. तभी प्रशांत भी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकालत करने के बावजूद खुद को सोशल एक्टिविस्ट, राइटर और पब्लिक स्पीकर कहलाना पसंद करते हैं. आप के 21 विधायकों के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में जो मामला वो राष्ट्रपति के पास ले गए वो कोई आसान रास्ता नहीं रहा. पूरे तीन साल इसके लिए प्रशांत ने लड़ाई लड़ी. मार्च, 2015 में केजरीवाल सरकार ने 21 विधायकों को ये पद दिया गया था. उसी साल 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने इन पदों को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए अपनी पिटीशन राष्ट्रपति को दी थी.

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अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के वो 20 MLA जिनको चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति विधायक पद से अयोग्य करेंगे !

चार दिन बाद ही यानी 23 जून 2015 को केजरीवाल सरकार ने विधानसभा में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे से इन विधायकों को बाहर रखने के लिए एक बिल पास कर दिया. एक साल माथापच्ची और खींचतान के बाद जून 2016 में राष्ट्रपति ने दिल्ली सरकार का ये बिल खारिज कर दिया और तभी से इन विधायकों पर सदस्यता जाने की तलवार लटक रही थी क्योंकि राष्ट्रपति ने प्रशांत की शिकायत को चुनाव आयोग के ऑफिस भेज दिया और वहां मामला चल रहा था. अब तीन साल बाद प्रशांत की मेहनत रंग लाई है. जॉली एलएलबी के जगदीश त्यागी की तरह इस केस के बाद अब देश का बच्चा-बच्चा उनका नाम जान जाएगा.

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