मोदी राज में बढ़ीं सांप्रदायिक घटनाएं, मौतें कम हुईं

देश में असहिष्णुता के मुद्दे जारी बहस के बीच गृह मंत्रालय की रिपोर्ट ने केंद्र सरकार को राहत दी है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले में इस साल सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में कम लोगों की मौत हुई है. हालांकि इस साल सांप्रदायिक की घटनाओं की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है.

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मोदी राज में बढ़ीं सांप्रदायिक घटनाएं, मौतें कम हुईं

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  • November 24, 2015 6:15 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. देश में असहिष्णुता के मुद्दे जारी बहस के बीच गृह मंत्रालय की रिपोर्ट ने केंद्र सरकार को राहत दी है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले में इस साल सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में कम लोगों की मौत हुई है. हालांकि इस साल सांप्रदायिक की घटनाओं की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है. 
 
साल 2015 के अक्टूबर तक सांप्रदायिक हिंसा में 86 लोग मारे गए थे, जबकि साल 2014 में इसी दौरान 90 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. हालांकि, सांप्रदायिक घटनाओं में जख्मी होने वालों की संख्या इस साल काफी बढ़ी है. अक्टूबर 2015 तक 1,899 जख्मी हुए, जो कि बीते साल के मुकाबले ज्यादा हैं. अक्टूबर 2014 तक 1,688 लोग जख्मी हुए थे. साल 2014 में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 644 घटनाएं हुई, जिसमें 95 लोग मारे गए, जबकि 1921 लोग जख्मी हुए.
 
इस साल अब तक 561 सांप्रदायिक  घटनाएं घटी हैं. 2014 में 630 घटनाएं घटी थी. यूपीए सरकार के दौरान 2013 में 694 सांप्रदायिक घटनाएं घटी थीं. गृह मंत्रालय का कहना है कि 2013 में महाराष्ट्र के धूले और यूपी के मुजफ्फरनगर घटनाएं हुई, जिनमें 70 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. वैसी घटनाएं इस साल नहीं हुई हैं. साल 2014 में मोदी सरकार के दौरान यूपी में सहारनपुर के कुतुबशेर में सांप्रदायिक हिंसा हुई जिसमें तीन लोग मारे गए, जबकि 23 जख्मी हुए. आपको बता दें कि गृह मंत्रालय की नजर में सांप्रदायिक हिंसा में 5 से ज्यादा मरने वाली घटना को बड़ा दंगा कहा जाता है.
 
एजेंसी इनपुट भी

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