नई दिल्ली/बर्लिन. देश के नामचीन स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ीं फाइलें सार्वजनिक की जाएं या नहीं, मोदी सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए इस बात का फैसला करने के लिए एक कमेटी गठित कर दी है. इस इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे. इस पैनल में RAW, IB, गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधाकिरी शामिल होंगे.
ग़ौरतलब है कि कांग्रेस सरकार के जरिए नेताजी के परिवार के 20 सालों तक की जासूसी के खुलासे के बीच मोदी सरकार ने ये कमेटी गठित की है. ये कमेटी कल फैसला करेगी कि नेताजी से जुड़ी फाइलें डीक्लासीफायड यानी सार्वजनिक की जाएं या नहीं. कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में बनी कमेटी नेताजी से जुड़ी फाइलों को लेकर ऑफिशियल सेक्रेट एक्ट का अध्ययन करेगी और फिर उसे सार्वजनिक की जाएं या नहीं, इसपर फैसला करेगी. नियम ये कहता है कि 30 साल के बाद कोई भी सरकारी फाइल खुद बखुद सार्वजनिक हो जानी चाहिए.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री कार्यालय में नेताजी से जुड़ी 58 फाइलें हैं तो विदेश मंत्रालय के पास 25 फाइलें हैं. नेताजी के पर पोते सुर्या कुमार बोस ने बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उनसे आग्रह किया था कि नेताजी से जुडी सभी फाइलें सार्वजनिक की जाएं. नरेंद्र मोदी ने चुनावी मुहिम के दौरान वादा किया था कि अगर उनकी सरकार आएगी तो वे नेताजी सुभाष से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करेंगे. इस एलान के साथ ही मोदी सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करने की ओर एक कदम बढ़ा दिया है.
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