Advertisement
  • होम
  • राजनीति
  • भारतीय समाज हमेशा से असहिष्णु था: विवेक देबरॉय

भारतीय समाज हमेशा से असहिष्णु था: विवेक देबरॉय

देश में जारी असहिष्णुता के खिलाफ नीति आयोग के सदस्य और प्रसिद्द अर्थशास्त्री विवेक देबरॉय ने कहा है कि देश में असहिष्णुता का माहौल आजादी के समय से है और मुझे नहीं लगता कि ऐसे मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है.

Advertisement
  • November 5, 2015 7:23 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. देश में जारी असहिष्णुता के खिलाफ नीति आयोग के सदस्य और प्रसिद्द अर्थशास्त्री विवेक देबरॉय ने कहा है कि देश में असहिष्णुता का माहौल आजादी के समय से ही है और मुझे नहीं लगता कि ऐसे मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है. आजादी के बाद से ही लेखक, साहित्यकार और पत्रकार असहिष्णुता के शिकार होते रहे हैं. 
 
अगर आप मुझसे कहेंगे कि भारत में असहनशीलता बढ़ रही है तो ये पूरी तरह से सब्जेक्टिव मामला है. असहनशीलता के बढ़ते मामलों का पैमाना सांप्रदायिक हिंसा, इंटरनेट फ्रीडम और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला हैं. अगर इन पैमानों के आधार पर कहा जाए तो मैं कहूंगा ऐसे मामलों में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है. असहिष्णुता भारत के लोगों के जीने के तरीके में शामिल है. 
 
एक अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए गए इंटरव्यू में विवेक देबरॉय ने अपने तर्कों के लिए उदाहरण देते हुए कहा है कि मैंने कोलकाता से प्रेजिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की और जब कॉलेज में नौकरी के लिए आवेदन किया तो वहां के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के हेड दीपक बनर्जी ने कहा कि तुम्हें यहां नौकरी नहीं मिलेगी. वहां लेफ्ट ने ऐसा किया इसलिए मैं वहां से चला गया. 
 
इसके अलावा विवेक ने कहा है कि जो लोग ये बात कह रहे हैं कि असहिष्णुता बढ़ रही है, उनसे बहस करने का कोई फायदा नहीं है. बौद्धिक जमात में हमेशा से ही असहिष्णुता रही है. 

Tags

Advertisement