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पुरस्कार लौटा रहे साहित्यकारों पर भिड़े मोदी सरकार के दो मंत्री

मोदी सरकार में बढ़ रहीं सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं और लेखकों पर हो रहे हमलों के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा रहे लेखकों के मुद्दे पर मोदी के दो मंत्री ही आमने-सामने आ गए हैं. केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को कहा कि लेखकों को इस बात का हक है कि वे विरोध जताने के लिए पुरस्कार लौटा सकें. लोकतंत्र में बुद्धिजीवियों को अपनी इच्छा के हिसाब से कदम उठाने की स्वतंत्रता हासिल होती है. दूसरी तरफ केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कल ही पुरस्कार लौटा रहे लेखकों की मंशा पर शक ज़ाहिर किया था.

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  • October 14, 2015 7:11 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. मोदी सरकार में बढ़ रहीं सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं और लेखकों पर हो रहे हमलों के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा रहे लेखकों के मुद्दे पर मोदी के दो मंत्री ही आमने-सामने आ गए हैं. केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को कहा कि लेखकों को इस बात का हक है कि वे विरोध जताने के लिए पुरस्कार लौटा सकें. लोकतंत्र में बुद्धिजीवियों को अपनी इच्छा के हिसाब से कदम उठाने की स्वतंत्रता हासिल होती है. दूसरी तरफ केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कल ही पुरस्कार लौटा रहे लेखकों की मंशा पर शक ज़ाहिर किया था. 
 
क्या बोले दत्तात्रेय
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक कार्यक्रम में केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, “यह लेखकों की निजी इच्छा है और भारत एक लोकतांत्रिक देश है.” थिंक टैंक आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सुधींद्र कुलकर्णी पर कालिख पोतने के मामले पर उन्होंने कहा, “भाजपा का राजनैतिक नेतृत्व इस पर अपनी राय दे चुका है. मेरी राय भी पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व जैसी ही है.” देश में लगातार बढ़ती असहिष्णुता, कुछ लेखकों की हत्या और उत्तर प्रदेश के दादरी इलाके में गोमांस खाने की अफवाह पर भीड़ द्वारा एक आदमी की पीट पीटकर की गई हत्या के खिलाफ देश के 25 से अधिक लेखक अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं.
 
क्या कहा था संस्कृति मंत्री ने
देश में बढ़ती सांप्रदायिक असहिष्णुता के खिलाफ और लेखकों और कवियों के अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने को मोदी सरकार के केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने संदेहास्पद बताया है. महेश शर्मा ने कहा कि लेखकों के सम्मान लौटाने का फैसला ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि शक इसलिए भी है क्योंकि एक ही तरह के लोग अवार्ड लौटा रहे हैं. 
 
महेश शर्मा ने यह भी कहा कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कोई खतरा नहीं है और लेखकों को इस तरह अकादमी से इस्तीफा नहीं देना चाहिए. यदि किसी लेखक को कोई समस्या है तो उसे प्रधानमंत्री को पत्र लिखना चाहिए लेकिन इस तरह इस्तीफा देना, अपने विरोध को प्रकट करने का सही तरीका नहीं है. यह कहे जाने पर कि लेखकों ने कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में पुरस्कार लौटाए हैं उन्होंने कहा कि हम लेखकों की हत्या की कड़ी निंदा करते हैं पर कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है. इस प्रकरण में नया मोड़ देते हुए कहा कि इस तरह की गैर जरूरी कार्रवाई को लेकर उन्हें उनकी मंशा पर संदेह होता है. 
 

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