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मनमोहन सिंह बोले, PM पद के लिए प्रणब मुखर्जी मुझसे ज्यादा काबिल थे पर सोनिया गांधी ने मुझे चुना

मनमोहन सिंह ने कहा कि 2004 में जब उनको प्रधानमंत्री बनाया गया था तब उस पद के लिए प्रणब मुखर्जी उनसे ज्यादा काबिल नेता थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनको चुना और उनके पास कोई विकल्प नहीं था.

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  • October 13, 2017 3:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लेकर वो बात कह दी है जो देश और दुनिया के लोग जानते पहले से थे पर कहता कोई नहीं था. प्रणब मुखर्जी की किताब ‘कोएलिशन ईयर्स- 1996-2012’ के विमोचन के मौके पर मनमोहन सिंह ने कहा कि 2004 में जब उनको प्रधानमंत्री बनाया गया था तब उस पद के लिए प्रणब मुखर्जी उनसे ज्यादा काबिल नेता थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनको चुना और उनके पास कोई विकल्प नहीं था. मनमोहन सिंह ने ये भी कहा, “प्रणब जी के पास इस शिकायत का हर कारण है कि ज्यादा काबिल होते हुए भी मुझे प्रधानमंत्री चुना गया लेकिन उन्हें ये भी पता है कि मेरे पास च्वाइस नहीं थी.”
 
2004 में आम चुनाव के बाद जब बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सत्ता से विदाई हुई थी तब कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए सरकार का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चुनकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सबको चौंका दिया था. उस समय हालात ऐसे थे कि कांग्रेस के अंदर गांधी परिवार से बाहर प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी में सबसे कद्दावर नेता थे लेकिन उनको नजरअंदाज कर दिया गया. माना जाता है कि सोनिया गांधी ने पार्टी की लंबी सेवा को ध्यान में रखकर ही उन्हें यूपीए की दूसरी सरकार के दौरान प्रतिभा पाटिल के बाद राष्ट्रपति पद का कैंडिडेट बनाया.
 
मनमोहन सिंह ने कहा कि प्रणब मुखर्जी अपनी पसंद से राजनेता हैं और ये उनके अंदर स्वाभाविक रूप से है जबकि वो गलती से राजनेता बन गए. मनमोहन ने कहा, “प्रणब मुखर्जी के पास दुखी होने के पर्याप्त कारण हैं लेकिन उन्होंने मुझे बहुत सम्मान दिया. हमारा संबंध बहुत बढ़िया रहा है और जब तक हम जिंदा है, ऐसा ही रहेगा.” मनमोहन सिंह ने याद किया कि कैसे उन्होंने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स यानी मंत्रीसमूह बनाकर बहुत सारे काम प्रणब दा के हवाले कर दिए क्योंकि उनमें मसलों को सुलझाने की गजब क्षमता थी. प्रणब मुखर्जी 2012 में यूपीए की दूसरी सरकार के दौरान देश के राष्ट्रपति चुने गए थे और इसी साल अपना कार्यकाल पूरा किया है. उनकी जगह पर रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति चुने गए. 
 
 
प्रणब मुखर्जी ने देश में गठबंधन सरकारों की राजनीति पर ये किताब लिखी है जिसके टाइटल का हिंदी अनुवाद करें तो “गठबंधन युग: 1996-2012” होगा. विमोचन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव सुधाकर रेड्डी, उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और डीएमके नेता कणिमोझी भी मौजूद थे. गौर करने लायक बात ये रही कि मंच पर ना तो सोनिया गांधी बैठीं और ना ही राहुल गांधी. दोनों नेता मंच के सामने दर्शकों की कुर्सी में अगली कतार में बैठे. मंच पर मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के अलावा सीताराम येचुरी, सुधाकर रेड्डी, अखिलेश यादव और कणिमोझी नज़र आए. जाहिर तौर पर ये गठबंधन सरकारों पर लिखी किताब के हिसाब से सजाया गया मंच था. समारोह में जब सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रणब दा की यादाश्त हाथी के बराबर है तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उसमें जोड़ा कि एक हाथी नहीं, दो हाथी के बराबर यादाश्त है प्रणब दा की.

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