नई दिल्ली. मॉनसून सत्र को खत्म होने में बस आज और कल का दिन बचा है. ऐसे में केंद्र सरकार की कोशिश जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स बिल को इसी सत्र में पास कराने की होगी. मंगलवार को यह बिल राज्यसभा में पेश तो हुआ, लेकिन कांग्रेस के जबरदस्त हंगामे के चलते इस पर चर्चा नहीं हो सकी, जिससे नाराज वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी देश की तरक्की में रुकावट डाल रहे हैं.
सदन में विपक्षी पार्टियों के लगातार विरोध के चलते इसके इस सत्र में पास होने के आसार कम दिख रहे है. अगर इस बिल को शीतकालीन सत्र तक खींचा जाएगा तो इसके 1 अप्रैल 2016 से लागू होने के आसार कम ही रह जाएंगे. किसी संविधान संशोधन बिल के सदन में पास होने के लिए कम-से-कम आधे संसद सदस्यों का होना जरूरी है. इसके साथ ही सदन में मौज़ूद सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत की भी आवश्यकता होगी. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के मूड को देखते हुए ऐसा होना मुश्किल ही लग रहा है.
कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों को छोड़ सभी दल इसके समर्थन में हैं. राज्यसभा में मोदी सरकार अल्पमत में है. सरकार को AIADMK का साथ हर हाल में चाहिए, लेकिन वह मौजूदा बिल में बदलाव चाहती है. सरकार ने पिछले सत्र में विपक्ष के मांग की वजह से बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भी भेजा था.
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