नई दिल्ली. मॉनसून सत्र के दौरान मोदी सरकार ने बताया कि पिछले साल पूरे देश में 5600 किसानों ने आत्महत्या की है. गृह राज्य मंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी ने राज्यसभा में यह आंकड़ा प्रस्तुत किया.
राज्य मंत्री ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सी.पी.नारायण के सवाल का जवाब देते हुए राज्यसभा में कहा, ‘साल 2014 में 1,31,666 लोगों ने आत्महत्या की है. इनमें से 5,650 किसान, 20,148 गृहिणी, 8068 विद्यार्थी, 2,308 ऋण के बोझ से दबे लोग तथा 7,104 मानसिक रोगी थे.’
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या जारी
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में पिछले ग्यारह दिनों के दौरान 31 किसानों ने आत्महत्या की. क्षेत्रीय आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बुधवार को बताया गया कि क्षेत्र के विभिन्न जिलों के 31 किसानों ने सूखा और ऋण समेत अन्य कारणों से तंग आकर आत्महत्या की है.
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रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल के जनवरी महीने से अब तक कुल 525 किसानों ने आत्महत्या की है. सर्वाधिक 154 आत्महत्या बीड़ जिले में हुई है जिसके बाद नांदेड़ में 95, उस्मानाबाद में 81, औरंगाबाद में 62, लातुर में 49, परभणी में 35, जालना में 28 और ङ्क्षहगोली में 21 किसानों ने आत्महत्या की है.
रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या के 525 मामलों में से 344 को मुआवजे के लिए उपयुक्त पाया गया जिसमें से 317 मृतक किसानों के परिजनों को जिला प्रशासन की ओर से सहायता राशि दी गई है. आत्महत्या के 110 मामलों को मुआवजे के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया जबकि 71 की जांच लंबित है. बता दें कि महाराष्ट्र में पिछले तीन सालों से सूखा और ऋण जैसी समस्याओं से तंग आकर सैकड़ों किसानों ने आत्महत्याएं की हैं. पिछले साल भी 551 किसानों ने आत्महत्या की थी.
IANS
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