नई दिल्ली. चुनाव आय़ुक्त ओपी रावत ने कहा है कि लाज-लिहाज छोड़कर किसी भी तरह चुनाव जीतना ही राजनीति का नया चेहरा है. रावत ने कहा कि अफसाने ऐसे लिख रहे हैं जैसे विधायकों को खरीदना चतुर राजनीतिक प्रबंधन हो और सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल से धमकाना सक्षम होने की तारीफ हो.
चुनाव क्षेत्र में काम करने वाली एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के एक कार्यक्रम में रावत की इन बातों को सीधे-सीधे गुजरात में हाल ही में संपन्न राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखें तो बात बहुत साफ हो जाएगी कि वो क्या कहना चाहते थे. गुजरात में चुनाव से पहले कांग्रेस के कई विधायकों ने पाला बदल लिया और उसे अपने विधायकों को बचाने के लिए कर्नाटक भेजना पड़ा. कांग्रेस के विधायकों को कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के जिस मंत्री के पास रखा गया उसके ठिकाने पर आयकर विभाग ने तुरंत छापा मारना शुरू कर दिया.
रावत ने कहा, “जब स्वतंत्र, स्वच्छ और पारदर्शी चुनाव होते हैं तो लोकतंत्र आगे बढ़ता है. लेकिन आम आदमी को लगने लगा है कि हम ऐसी रवायत कायम रहे हैं जिसमें सारा जोर सारी नैतिकता को ताक पर रखकर बस जीतने पर है.”
उन्होंने कहा, “इस रवायत में विधायकों की खरीद-फरोख्त को स्मार्ट राजनीतिक प्रबंधन की तरह सराहा जाता है, ललचाने के लिए पैसे का इस्तेमाल और सरकारी मशीनरी के जरिए धमकाने को सक्षम होने की तारीफ माना जा रहा है.”
रावत ने आगे तंज कसते हुए कहा, “विजेता कोई पाप कर ही नहीं सकता. एक विद्रोही सत्ता कैंप में आते ही सारे अपराध और पाप से फारिग हो जाता है. राजनीतिक नैतिकता का ये नया नॉर्मल डरावना है जिसे बदलना हमारा टार्गेट होना चाहिए. इस पर राजनीतिक दलों, राजनेताओं, मीडिया, सिविल सोसाइटी, संवैधानिक पद पर बैठे लोगों और उन तमाम लोगों को कदम उठाना चाहिए जिनका बेहतर चुनाव और बेहतर भविष्य के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों में भरोसा है.”
रावत ने पेड न्यूज के चलन के खिलाफ भी जमकर बोला और कहा कि इसे चुनावी अपराध घोषित कर इस मामले का उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की जेल का प्रावधान बनाना चाहिए.
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