नई दिल्ली. मुंबई दंगों की जांच करने वाले जस्टिस बीएम श्रीकृष्णा ने मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर कहा है कि कानून के अनुसार न्याय हो गया है. अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने दंगों और धमाकों के मामलों में अपनाए गए रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा है, 'यह चिंताजनक है कि इन दोनों ही मामलों को अपराध की तरह देखे जाने के बज़ाय सरकार के सांप्रदायिक झुकाव के हिसाब से अलग अलग तरीके से निपटाया गया है.'
नई दिल्ली. मुंबई दंगों की जांच करने वाले जस्टिस बीएम श्रीकृष्णा ने मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर कहा है कि कानून के अनुसार न्याय हो गया है. अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने दंगों और धमाकों के मामलों में अपनाए गए रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा है, ‘यह चिंताजनक है कि इन दोनों ही मामलों को अपराध की तरह देखे जाने के बज़ाय सरकार के सांप्रदायिक झुकाव के हिसाब से अलग अलग तरीके से निपटाया गया है.’
1993 में हुए मुंबई सीरियल धमाकों से पहले हुए दंगों पर गठित किए गए एक सदस्यीय आयोग की अध्यक्षता करने वाले जस्टिस बीएम श्रीकृष्णा की रिपोर्ट के मुताबिक दंगों में करीब 900 लोग मारे गए जिनमें 575 मुस्लिम और 275 हिंदू शामिल थे. घायल होने वालों की संख्या 2036 बताई गई थी. श्री कृष्णा आयोग ने माना था कि 1993 बंबई धमाकों का रिश्ता दंगों से भी था.
जस्टिस श्रीकृष्णा ने याकूब की फांसी पर कहा, ‘मुझे लगता है कि कानून के अनुसार न्याय हो गया है. बेवजह के विवादों और इसकी वजह से हर तरफ फैले उन्माद से भी बचा जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘सरकार के पूर्वाग्रह’ के चलते दंगों और धमाकों के मामलों में अलग-अलग रवैया बरता गया है. अगर सांप्रदायिक दंगों में सरकार की मिलीभगत होती है तो पुलिस भी असली दंगाइयों पर से आंख मूद लेती है और असल में शिकार लोगों को घेरती है.’
उन्होंने कहा कि दिल्ली और मुंबई दंगों में भी यही हुआ. आपको बता दें कि गुरुवार सुबह मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को नागपुर जेल में फांसी दी गई और उसे मुंबई में दफनाया गया है.