नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इटावा कॉलेज को 104 करोड़ का फंड देने के मामले में पूर्ववर्ती मुलायम सिंह यादव की यूपी सरकार को जोरदार फटकार लगाई है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर ने फटकार लगाते हुए कहा है कि सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कैसे कर सकती है? खेहर ने कहा कि एक संस्था में सरकार इतने करोड़ कैसे झोंक सकती है खासतौर से तब जब उस संस्था की कोई जिम्मेदारी और जवाबदेही ही ना हो.
कोर्ट ने पूर्ववर्ती मुलायम सिंह यादव की सरकार से कहा कि आप ये ना बताएं कि कॉलेज की सोसाइटी को सरकार या अन्य कौन चला रहा है बल्कि ये बताए कि पैसा कब लौटा रहे हैं. कोर्ट ने यूपी सरकार को मामले पर 2 सप्ताह में अपना जवाब देने को कहा है.
बता दें कि 2016 में हुई सुनवाई के दौरान यूपी के इटावा में चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा था कि 100 करोड़ रुपये सरकार ने दिए, लेकिन ये कैसे हो सकता है कि सरकारी संपत्ति किसी प्राइवेट सोसाइटी को दी जाए?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि जो सोसाइटी इस कॉलेज को चला रही है उसका पुनर्गठन क्यों न किया जाये? और सोसाइटी सरकार की निगरानी में काम करे. सोसाइटी में सरकारी अधिकारी भी हों. वहीं यूपी सरकार ने कोर्ट में कहा था कि उसने कॉलेज संचालन के लिए सरकारी अफसरों की नियुक्ति की है.
सरकार ने ये भी बताया था कि राजस्व रिकॉर्ड में कॉलेज की जमीन सरकार के नाम ही है. दरअसल, सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई के पास ही हैबरा नाम की जगह पर चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज है. 2004 में यूपी के मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव ने उस कॉलेज को सरकार के आकस्मिक फंड से 100 करोड़ रुपये दिए थे. मुलायम ने ऐसा अपने भाई शिवपाल सिंह यादव की सिफारिश पर किया था.
इसके खिलाफ मनेन्द्र नाथ राय नाम के शख्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और कॉलेज चलाने वाले ट्रस्ट के साथ ही मुलायम और शिवपाल को भी नोटिस जारी किया था, लेकिन दोनों ने अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है.