लखनऊ. राजनीति में अनुमान और अफवाह कब हकीकत में बदल जाएं, बिहार में नीतीश कुमार सरकार का बदला हुआ रंग उसका ताजा उदाहरण है. नई अफवाह लखनऊ से है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के दौरान सपा नेता शिवपाल सिंह यादव और राजा भैया भाजपा के साथ जा रहे हैं.
जैसा कि पहले ही कह दिया गया है कि ये अफवाह है क्योंकि शिवपाल सिंह यादव ने शनिवार को सपा के दो MLC के इस्तीफे पर पत्रकारों से यही कहा है कि अगर अखिलेश यादव अब भी मुलायम सिंह यादव को पार्टी की कमान सौंप देते हैं तो चीजें ठीक हो जाएंगी नहीं तो नाराज लोग ऐसे ही पार्टी छोड़ते रहेंगे. शिवपाल ने कहा था कि अगर अखिलेश फिर भी नहीं माने तो वो नाराज नेताओं को साथ लेकर वो सेकुलर मोर्चा बनाएंगे.
अब अफवाह पर लौटते हैं. अफवाह ये है कि शिवपाल सिंह यादव और राजा भैया ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का समय मांगा था और सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने दोनों को संडे की शाम 5 बजे वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मुलाकात का समय दे दिया है. अगर मुलाकात का समय मिल गया है तो फिर कुछ ना कुछ तो होने वाला है. फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हो सकती.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिन के लखनऊ दौरे पर पहुंचने से पहले ही सपा के दो एमएलसी भुक्कल नवाब और यशवंत सिंह ने विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया था. ये दोनों शिवपाल और राजा भैया के करीबी हैं.
इनके बाद बसपा के एमएलसी जयवीर सिंह ने इस्तीफा दे दिया. जयवीर भी राजा भैया के करीबी हैं. इससे पैटर्न बन रहा है. संकेत मिल रहा है. बस यहीं से अफवाह उड़ी है और बड़ी तेज फैल रही है. इसका खंडन भी अभी तक किसी तरफ से नहीं आया है.
सूत्रों का कहना है कि शिवपाल के साथ दर्जन भर सपा विधायक और दूसरे नेता या तो सीधे-सीधे बीजेपी का दामन थाम सकते हैं या फिर उत्तर प्रदेश में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के झंडे तले एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं. विकल्प दोनों ही खुले हैं जिसका अल्टीमेट फायदा बीजेपी और योगी आदित्यनाथ सरकार को होगा.
सूत्रों का कहना है कि शिवपाल की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट एंट्री पर उनको महत्वपूर्ण जवाबदेही दी जा सकती है. शिवपाल समर्थक तो इतने उत्साहित हैं कि वो ये कहानी फैलाने लगे हैं कि केशव प्रसाद मौर्या को दिल्ली में मंत्री बनाकर उनकी जगह पर शिवपाल की ताजपोशी हो सकती है. ध्यान रहे, ये सब अफवाह हैं और इसकी किसी ने पुष्टि नहीं की है और ना ही खंडन.
सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव मौर्या और दिनेश शर्मा समेत सरकार में 5 ऐसे मंत्री हैं जिनको विधानमंडल में सितंबर तक चुनकर आना है. भुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और जयवीर सिंह का सीट खाली करना उसी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है.