नई दिल्ली. बिहार में बुधवार की शाम महागठबंधन सरकार का इस्तीफा सौंपकर देर रात एनडीए सरकार बनाने का न्योता ले आए सीएम नीतीश कुमार की टाइमिंग ऐसी कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को राजनीतिक संकट की इस घड़ी में पटना में रुककर जोड़-तोड़ का मौका तक नहीं मिला. लालू चारा घोटाला के मामले में पेशी के लिए रांची निकल गए हैं.
बुधवार दिन में जब आरजेडी विधायक दल की बैठक हुई और उसके बाद लालू ने ये कहा कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से इस्तीफा नहीं मांगा है इसलिए तेजस्वी के इस्तीफे का कोई सवाल नहीं उठता है तो लगा सब ठीक है.
लालू के बयान के बाद जेडीयू नेताओं की बयानबाजी शुरू हुई जिससे लालू को जेडीयू और बीजेपी के बीच पक रही खिचड़ी का कुछ अंदाजा लग गया इसलिए उन्होंने चारा घोटाला में गुरुवार को रांची में पेशी के लिए शाम में पटना से रांची की फ्लाइट का कटा हुआ टिकट कैंसिल कराया और तय किया कि अब वो जेडीयू विधायक दल की बैठक के फैसले के बाद सड़क के रास्ते रांची जाएंगे.
जेडीयू विधायक दल की बैठक के बाद नीतीश कुमार निकले और सीधे राजभवन पहुंच गए. राज्यपाल को महागठबंधन सरकार के मुखिया के तौर पर अपना इस्तीफा सौंपकर नीतीश लौटे तो मीडिया से कहा कि उनके लिए इस माहौल में काम करना मुश्किल था इसलिए उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव मीडिया के सामने आए तो नीतीश से पूछा कि वो बिहार की जनता को बताएं कि बीजेपी और आरएसएस से उनकी क्या सेटिंग है कि उनके इस्तीफे के तुरंत बाद पीएम नरेंद्र मोदी उनको बधाई देते हैं. लालू ने नीतीश कुमार पर 26 साल पुराने मर्डर केस का भी सवाल उठाया और कहा कि उनका हत्याचार भ्रष्टाचार से बड़ा है.
इसके बाद लालू यादव को पटना में बदल रहे राजनीतिक हालात को मॉनिटर करने और उसमें जोड़-तोड़ की संभावना तलाशने का मोह छोड़कर रांची के लिए निकलना पड़ा क्योंकि पटना से सड़क के रास्ते रांची जाने में करीब-करीब 8 घंटा समय लगता है.
लालू यादव गुरुवार को जब रांची की अदालत में चारा घोटाला के एक मामले में पेश हो रहे होंगे उसी वक्त बिहार की राजधानी पटना में नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू-बीजेपी की नई सरकार का शपथ ग्रहण चल रहा होगा.
ये बात जगजाहिर है कि नीतीश कुमार चाहते थे कि डिप्टी सीएम पद से तेजस्वी इस्तीफा दें तभी महागठबंधन सरकार चलेगी नहीं तो वो कड़ा और बड़ा फैसला करने वाले हैं. बुधवार को आरजेडी विधायक दल की बैठक के बाद जब लालू ने तेजस्वी के इस्तीफे से इनकार कर दिया तो जेडीयू विधायक दल की बैठक के बाद नीतीश सीधे राज्यपाल के पास गए और अपना इस्तीफा सौंप दिया.
नीतीश के इस्तीफे के बाद बीजेपी विधायक दल और दिल्ली में बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक हुई जिसमें राज्य के तीन नेताओं की एक कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे का कदम उठाने का फैसला हुआ.
देर शाम बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने नीतीश सरकार को समर्थन का ऐलान कर दिया जिसके बाद ये बात सामने आ रही थी कि गुरुवार शाम 5 बजे नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार का शपथ ग्रहण होगा जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. बाद में ये साफ हुआ कि शपथ ग्रहण सुबह 10 बजे होगा.
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार की नई सरकार में बीजेपी और जेडीयू दोनों के 13-13 मंत्री शपथ लेंगे. नीतीश कुमार महागठबंधन में आने से पहले बीजेपी के साथ लंबे समय तक सरकार चला चुके हैं जिसमें बीजेपी नेता सुशील मोदी डिप्टी सीएम हुआ करते थे.
नीतीश कुमार 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उस समय गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करने की बीजेपी की तैयारी के खिलाफ बीजेपी से रिश्ता तोड़कर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ शिफ्ट हो गए थे.