नई दिल्ली. राज्यसभा में सहारनपुर में दलितों पर अत्याचार का मसला नहीं उठाने देने के विरोध में इस्तीफा दे चुकीं मायावती को लेकर एक तरफ ये कहानी चल ही रही थी कि अब बीएसपी के पास इतने विधायक नहीं हैं कि वो दोबारा राज्यसभा लौट सकें तभी बहनजी का फुलफ्रूफ फूलपुर लोकसभा उप-चुनाव प्लान सामने आ गया. उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक फूलपुर लोकसभा सीट पर उप-चुनाव संभव है. वो इसलिए कि राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या इस सीट से मौजूदा सांसद हैं. केशव मौर्या को चूंकि सितंबर तक यूपी विधानमंडल के किसी सदन यानी विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना है जिसके लिए उन्हें लोकसभा की सीट खाली करनी होगी.
फूलपुर वही सीट है जहां से कभी पंडित जवाहरलाल नेहरू लोकसभा पहुंचते थे. उनके बाद उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित यहां से सांसद बनीं. इसी सीट से पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह भी एक बार लोकसभा पहुंचे. अगर यूपी ने देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिया है तो सीट के तौर पर फूलपुर का कद कहीं छोटा नहीं है जिसने देश को दो पीएम दिए.
खैर, वापस मायावती के मास्टप्लान पर लौटते हैं. मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दिया तो सबसे पहले बिहार में जेडीयू और कांग्रेस के साथ महागठबंधन सरकार चला रहे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने ऐलान किया कि बहनजी अगर चाहेंगी तो उनकी पार्टी बिहार से उनको राज्यसभा भेजेगी.
ये तो सबको पता है कि यूपी विधानसभा में अब बीएसपी के पास इतना संख्याबल नहीं है कि वो अकेले किसी नेता को राज्यसभा भेज दे. समाजवादी पार्टी के पास एक राज्यसभा सांसद भेजने की ताकत है. सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों मिल जाएं तो 2 राज्यसभा सांसद भेज सकते हैं. लालू ने बिहार से मायावती को राज्यसभा भेजने की बात इसी संदर्भ में कही.
मायावती ने जैसे ही राज्यसभा से इस्तीफा दिया तो खबर के बाद जो विश्लेषण आए उसमें यहीं कहा गया कि उनका टर्म थोड़ा सा बचा था और वो इस्तीफा देकर बलिदानी नेता के तौर पर जनता के बीच जाना चाहती हैं क्योंकि उनके पास वापसी के लायक संख्या नहीं है. लेकिन जब से उनका फूलपुर प्लान सामने आया है केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी की बेचैनी बढ़ गई है.
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस के महागठबंधन ने बीजेपी का फूल खिलने से रोक दिया था. लालू ने यूपी में बीजेपी के हाथों सपा-बसपा और कांग्रेस की हार के बाद ये बात कई बार कहा है कि अगर ये तीनों बिहार की तरह यूपी में हाथ मिला लें तो 2019 में बीजेपी का पत्ता साफ हो जाएगा.
फूलपुर लोकसभा सीट पर केशव प्रसाद मौर्या के संभावित इस्तीफे के बाद उप-चुनाव को इस संदर्भ में देखने से ही मायावती का फुलफ्रुफ फूलपुर प्लान समझ में आएगा. मायावती का प्लान है कि वो दलित और पिछड़ा बहुल इस सीट से लोकसभा का उप-चुनाव लड़ जाएं जिसमें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी उनके खिलाफ कैंडिडेट ना दे.
यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद वोटों की गिनती से पहले जब एग्जिट पोल में बीजेपी की सरकार बनने का अनुमान लगाया जा रहा था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वो मायावती की बीएसपी से समर्थन लेंगे.
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ऐसे में मायावती अगर फूलपुर से लोकसभा का उप-चुनाव लड़ती हैं तो सपा और कांग्रेस के पास बीजेपी विरोधी वोटों का बिखराव रोकने का एक सुनहरा मौका होगा और ये टेस्ट करने का भी कि राज्य के वोटर उन तीनों को एक साथ पचाएंगे या नहीं. मायावती का प्लान इसी पर टिका है कि सपा और कांग्रेस उन्हें समर्थन दे और बीजेपी को सब मिलकर हराएं.
अगर इस टेस्ट में मायावती पास हो गईं तो इसका दूरगामी राजनीतिक असर होगा. मायावती की फूलपुर से जीत हुई तो ये साबित होगा कि केंद्र और राज्य में अपार बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी को विपक्षी दल एकजुट होकर हरा सकते हैं. ये 2019 में बीजेपी के खिलाफ यूपी और दूसरे राज्यों में भी महागठबंधन की बुनियाद रखेगा.
दूसरा, मायावती फिर से दलितों की सबसे बड़ी नेता के तौर पर मजबूत वापसी करेंगी जिनकी साख पहले लोकसभा और फिर विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी की करारी हार के बाद बहुत गिर चुकी है.