नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई धमाके मामले में दोषी याकूब मेमन की फांसी रोकने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है, अगर राष्ट्रपति या राज्यपाल ने अंतिम समय तक याकूब की दया याचिका को मंजूर नहीं किया तो उसे कल 30 जुलाई को नागपुर जेल में फांसी दी जा सकती है.
आज की सुनवाई के दौरान याकूब मेमन के वकील ने दलील दी, ‘याकूब के कानूनी सुविधा के बिना फांसी का वारंट जारी कर दिया गया, जो कि गलत है. उसकी हेल्थ और जेल के अंदर अच्छे आचरण को भी देखा जाना चाहिए.’ याकूब के वकील ने कहा, मंगलवार को जस्टिस कुरियन जोसेफ के फैसले पर भी बहस होनी चाहिए. इसके अलावा राष्ट्रपति के सामने फांसी टालने को लेकर नए सिरे से याचिका दायर की है, उस पर भी गौर किया जाए.
आपको बता दें कि इससे पहले मंगलवार को याकूब की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिल दवे और जस्टिस कुरियन दोनों में मतभेद साफ नजर आया. हालांकि, दोनों जजों ने याकूब की फांसी पर रोक नहीं लगाई थी. इसके बाद मामला तीन जजों की बेंच को रेफर किया गया था.
सुनवाई के दौरान जस्टिस एआर दवे ने कहा कि याकूब की याचिका खारिज होनी चाहिए जबकि जस्टिन कुरियन जोसेफ ने कहा कि याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई में कुछ त्रुटियां हैं इसलिए दोबारा सुनवाई होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रहे जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने याकूब की भूल-सुधार याचिका की सुनवाई पर ही सवाल खड़ा कर दिया.
नियम का हवाला देते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा कि याकूब की भूल-सुधार याचिका की सुनवाई में कमी नजर आ रही है. वहीं सुनवाई कर रहे दूसरे जज एआर दवे ने कहा कि अब इस मामले में कुछ नहीं बचा है. याकूब को निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा दी है.
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