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‘जनता के राष्ट्रपति’ डॉक्टर कलाम की 10 अनसुनी कहानियां

नई दिल्ली. देश के 11वें राष्ट्रपति और भारत रत्न से सम्मानित ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का सोमवार को निधन हो गया. तबीयत बिगड़ने के बाद मिसाइलमैन के नाम से मशहूर 83 साल के कलाम साहब को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. आइये जानते हैं उनकी जीवन की 10 अनसुनी कहानियां…

– कलाम का बचपन संघर्षों और अभावों में बीता था. पढ़ाई में शुरू से अव्वल कलाम स्कूल जाने से पहले अखबार बेचने का काम किया करते थे.

– बचपन से ही देश के लिए मर-मिटने के लिए तैयार बैठे कलाम वायु सेना में भर्ती होना चाहते थे. लेकिन, किस्मत को कुछ और मंजूर था. 1962 में वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़ गए. 

– बीएचयू के एक समारोह के दौरान कलाम ने उनके लिए निर्धारित एक कुर्सी पर केवल इसलिए बैठने से इनकार कर दिया था कि उनके लिए निर्धारित की गई कुर्सी अन्य कुर्सियों से आकार में बड़ी थी

– वे देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं, जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पूर्व देश के सर्वोच्च‍ सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मा‍नित किया गया. इसके साथ ही साथ वे देश के इकलौते राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने आजन्म अविवाहित रहकर देश सेवा की है. 

– मई 2006 में राष्ट्रपति कलाम का सारा परिवार उनसे मिलने दिल्ली आया. कुल मिला कर 52 लोग थे. ये लोग आठ दिन तक राष्ट्रपति भवन में रुके. अजमेर शरीफ भी गए. उनके जाने के बाद कलाम ने अपने अकाउंट से तीन लाख बावन हजार रुपए का चेक काट कर राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा.

– नवंबर 2002 में रमजान के महीने में कलाम ने इफ्तार के लिए निर्धारित राशि से आटे, दाल, कंबल और स्वेटर का इंतेजाम किया गया और उसे 28 अनाथालयों के बच्चों में बांटा गया. इसके अलावा उन्होंने अपनी तरफ से भी एक लाख रुपए का चेक दिया.

-राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भारत के सबसे सक्रिय राष्ट्रपति थे. अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने 175 दौरे किए. इनमें से सिर्फ सात विदेशी दौरे थे. वो लक्ष्यद्वीप को छोड़ कर भारत के हर राज्य में गए.

-कलाम इकलौते ऐसे साइंटिस्ट थे, जिन्हें 30 यूनिवर्सिटीज और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली है.

-राष्ट्रपति बनने के बाद केरल की अपनी पहली यात्रा के दौरान राजभवन में सड़क किनारे बैठने वाले एक मोची और एक छोटे से होटेल के मालिक को मेहमान के तौर पर उन्होंने आमंत्रित किया था. 

– भारत में पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के बाद कलाम ऐसे नेता के रूप में याद रखे जाएंगे जिन्होंने सादगी से अपना जीवन जिया. राष्ट्रपति भवन में पांच साल रहने वाले कलाम ने वहां से जब विदा लिया तो उनके पास किताबों के अलावा कुछ नहीं था. कलाम आखिरी समय तक बच्चों का पढ़ाना काम करते रहे.

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