September 8, 2024
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2019 में अखिलेश और मायावती साथ आ गए तो बीजेपी का 'गेम ओवर': लालू यादव

  • WRITTEN BY: admin
  • LAST UPDATED : July 5, 2017, 11:09 am IST
पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 21वीं स्थापना दिवस के कार्यक्रम के मौके पर सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि अगर बसपा अध्यक्ष मायावती और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश 2019 के लोकसभा चुनाव में एक साथ आ जाएं तो समझिए मैच ओवर हो जाएगा. लालू की बातों साफ इशारा है कि वह बीजेपी का मैच ओवर होने की बातें कर रहे हैं.
 
 
लालू ने कहा कि साल 2014 में गलती से ही केंद्र में मोदी सरकार बनी है. देश में अघोषित इमरजेंसी लागू है. केंद्र सरकार देश में तानाशाही का राज कायम कर रही है. मोदी सरकार ने देश में इतना बुरा हाल कर दिया है, जितना इंदिरा गांधी के आपातकाल के वक्त भी नहीं था. अगर इसी तरह देश के हालात रहे तो लोग आपातकाल को भूल कर मोदी राज को याद रखेंगे.
 
देश के हालातों का जिक्र करते हुए लालू ने कहा कि मोदी सरकार में रोजगार जीरो पर पहुंच गया है. बेरोजगार युवाओं ने अपने मम्मी-पापा से यह कहकर मोदी को वोट दिलाया था कि सरकार आएगी तो काम मिलेगा, काला धन आएगा और अच्छे दिन आएंगे. लेकिन न तो जनता ने और न ही हमने अच्छे दिन देखे हैं.
 
 
आरजेडी सुप्रीमो ने आगे कहा कि चुनाव से पहले बीजेपी ने 100 दिन के अंदर कालाधन लाने की बात कही थी लेकिन उनकी सरकार के तीन साल हो गए अभी तक काला धन एक रुपया भी नहीं आ पाया है. अगर मायावती और अखिलेश 2019 में साथ आ जाएं तो बीजेपी का गेम ओवर हो सकता है. 
 
पार्टी की स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि इस वक्त देश में अघोषित आपातकाल चल रहा है. मौजूदा सरकार प्रियंका जी, रॉबर्ट वाड्रा, अरविंद केजरीवाल, ममता दीदी या फिर लालू यादव के परिवार को लगातार तोड़ने की कोशिश की जा रही है, साजिश की जा रही है. उन्हें पता है अगर 2019 में ये सभी एक हो गए है तो बीजेपी का खेल खत्म हो जाएगा. 
 
राष्ट्रपति चुनाव पर लालू ने कहा कि बीजेपी को आगे बढ़ाने में लालकृष्ण आडवाणी की बहुत बड़ी भूमिका है लेकिन उन्होंन राष्ट्रपति चुनाव में नाक काट दिया. क्या करें बेचारे ? विपक्ष ने मिलकर मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है और बीजेपी ने रामनाथ कोविंद का नाम लिया है.
 
 
लालू ने आगे कहा कि शुरू से ही इन लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि रामनाथ दलित हैं. गुजरात में कोविंद ओबीसी की कैटिगरी की जाति है. ये सब गुजरात में हो रहे चुनावों को ध्यान में रखकर, जिससे वोटरों को लुभाया जा सके. इस वजह से ये फैसला लिया है. उन्हें दलितों से कोई मतलब नहीं है.

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