नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश में गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सूचना प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले लेकिन सोनिया ने कैंडिडेट का नाम पूछा तो बीजेपी नेता आम सहमति से राष्ट्रपति बनाने पर समर्थन मांगकर लौट आए क्योंकि अभी एनडीए ने नाम तय नहीं किया है.
राजनाथ और वेंकैया सोनिया के अलावा शुक्रवार को सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से भी मिले. नायडू ने फोन पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से भी बात की. सीपीआई महासचिव से भी देर शाम मिलने का कार्यक्रम तय हो चुका है. विपक्षी दलों के नेताओं के अलावा दोनों नेता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से भी मिले.
सरकार का कहना है कि वो अभी मूल रूप से विपक्षी दलों से राष्ट्रपति चुनाव में आम सहमति से उम्मीदवार देने के मकसद से उनके विचार जानने की कोशिश कर रही है और अगर उनकी तरफ से कोई नाम है तो सरकार वो भी जानना चाह रही है. सरकार इस स्टेज पर अपने कैंडिडेट का नाम नहीं बताना चाहती. सरकार की रणनीति है कि सारे दलों का मूड समझकर या पसंद जानकर ही कैंडिडेट तय किया जाए.
इसलिए जब राजनाथ और वेंकैया नायडू शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पहुंचे तो उनके पास बताने के लिए किसी कैंडिडेट का नाम नहीं था. सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और अहमद पटेल भी मीटिंग के दौरान मौजूद थे.
कुछ दिन पहले विपक्षी दलों की जो बैठक सोनिया गांधी ने बुलाई थी उसमें ये कहा गया था कि अगर सरकार आम सहमति से राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार देती है तो विपक्ष विचार करेगा. इसलिए जब राजनाथ और वेंकैया सोनिया से मिलने पहुंचे तो सबकी निगाह इस पर थी लेकिन मीटिंग का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी को उम्मीद थी कि विपक्ष का सपोर्ट मांग रही सरकार की तरफ से जब नेता बात करने आएंगे तो एक-दो संभावित कैंडिडेट का नाम बताएंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. राजनाथ और वेंकैया ने किसी का नाम लिए हुए सिर्फ चुनाव में कांग्रेस का समर्थन मांगा और कांग्रेस की कोई पसंद है तो वो जानने की कोशिश की.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सरकार अगर सचमुच विपक्ष का समर्थन चाहती है तो वो कैंडिडेट का नाम लेकर आती क्योंकि नामांकन में बहुत ज्यादा दिन बचा नहीं है. आज की मीटिंग के बाद कांग्रेस का मानना है कि सरकार की तरफ से आम सहमति के नाम पर औपचारिकता का निर्वाह किया जा रहा है.
ये साफ हो चुका है कि सरकार की तरफ से कैंडिडेट का नाम 24 जून को शुरू हो रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से एक दिन पहले 23 जून तक सामने आएगा. खबरें तो ये भी हैं कि पीएम मोदी सरकार के कैंडिडेट का नामांकन कराने के बाद ही विदेश दौरे पर रवाना होंगे.
कांग्रेस का कहना है कि बिना कैंडिडेट का नाम जाने समर्थन के सवाल पर कोई राय बनाना संभव नहीं है. कांग्रेस को ये भी लगता है कि विपक्षी दलों के पास आम सहमति का स्पेस बचा होगा नहीं क्योंकि सरकार तो सीधे अपने कैंडिडेट का नामांकन कराने की तैयारी में है. ऐसे में विपक्ष को अगर वो कैंडिडेट पसंद नहीं आया तो अपना कैंडिडेट चुनने के लिए बहुत कम वक्त बचा होगा क्योंकि नामांकन 28 जून को बंद हो जाएगा.
सोनिया गांधी से राजनाथ और वेंकैया की मुलाकात के बाद विपक्षी खेमे में राष्ट्रपति चुनाव का कैंडिडेट चुनने को लेकर हलचल तेज हो गई है क्योंकि सरकार अपने पत्ते खोलने को अभी भी तैयार नहीं है और विपक्ष इस मसले पर बहुत इंतजार करने के मूड में नहीं है.