नई दिल्ली. जाटों को ओबीसी आरक्षण के लिए आखिरी उम्मीद खत्म हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च को दिए अपने फैसले में जाटों को ओबीसी में शामिल करने के केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल कर फैसले पर पुनर्विचार की गुहार लगाई थी.
यूपीए सरकार ने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले नोटिफिकेशन जारी कर जाटों को रिजर्वेशन का लाभ देने के लिए ओबीसी की केंद्रीय लिस्ट में जाटों को शामिल किया था. इसके तहत केंद्र सरकार की नौकरी आदि में ओबीसी केटगरी के तहत रिजर्वेशन का लाभ मिल रहा था. सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अर्जी दाखिल की थी.
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जाट राजनीतिक तौर पर संगठित हैं और उसे ओबीसी में शामिल करने से दूसरे पिछड़े वर्ग पर प्रतिकूल असर होगा. अदालत ने कहा था कि केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह संविधान के तहत किसी वर्ग को आरक्षण दे सकता है लेकिन किसी जाति विशेष के लिए पिछड़ेपन का जो निष्कर्ष सालों पहले दिया गया था उसे आधार नहीं बनाया जा सकता. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल कमिशन फॉर बैकवर्ड क्लास ने जाट को ओबीसी में शामिल करने के खिलाफ सिफारिश की थीय एनसीबीसी ने कहा था कि जाट सामाजिक तौर पर पिछड़ा वर्ग नहीं है.
केंद्र का नोटिफिकेशन जस्टिफाई नहीं
सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बेंच ने इंद्रा स्वाहने (मंडल जजमेंट) के केस में व्यवस्था दी थी कि पिछड़ेपन का मतलब सामाजिक पिछड़ेपन से है. 17 मार्च को दिए फैसले में कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को जस्टिफाई नहीं किया जा सकता.
फैसले का असर
बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश,मध्यप्रदेश, दिल्ली,यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर के लिए जाट को सेंट्रल लिस्ट के तहत ओबीसी में शामिल करने से संबंधी केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया गया है.
यूपीए सरकार का नोटिफिकेशन
केंद्र सरकार के कैबिनेट ने 2 मार्च 2014 को एनसीबीसी की सलाह को खारिज कर दिया था और कहा था कि एनसीबीसी की सलाह ग्राउंड रियलिटी पर नहीं है. जाट को सेंट्रल लिस्ट के ओबीसी में शामिल करने का फैसला हुआ और चुनाव से एन पहले 4 मार्च को 2014 को इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया गया. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
सरकार बदली पर स्टैंड नही
जाट समुदाय को ओबीसी लिस्ट में शामिल किए जाने के यूपीए सरकार के फैसले को नरेंद्र मोदी सरकार ने सही ठहराया था. केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा गया था कि याचिकाकर्ता का यह आरोप की तत्कालीन केंद्र सरकार ने चुनावी फायदे के लिए ऐसा किया था यह सही नहीं है. मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार (यूपीए सरकार) ने जो भी फैसला लिया था वह पब्लिक इंट्रेस्ट में सही फैसला था.17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया था जिसके बाद केंद्र की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई थी.
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