मंदसौर हिंसा: गिरफ्तार राहुल ने चार घंटे बाद ली जमानत, मृतक किसानों के परिवारों से की मुलाकात

मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों की मौत पर आज जमकर सियासत हुई. किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने पहुंचे राहुल गांधी को मंदसौर से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया. जमानत लेने के बाद राजस्थान बॉर्डर पर उन्हें पीड़ित किसान परिवारों से मिलवाया गया.

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मंदसौर हिंसा: गिरफ्तार राहुल ने चार घंटे बाद ली जमानत, मृतक किसानों के परिवारों से की मुलाकात

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  • June 8, 2017 4:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
मंदसौर: मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों की मौत पर आज जमकर सियासत हुई. किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने पहुंचे राहुल गांधी को मंदसौर से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया. जमानत लेने के बाद राजस्थान बॉर्डर पर उन्हें पीड़ित किसान परिवारों से मिलवाया गया.
 
किसानों से मिलने जा रहे राहुल को राजस्थान मध्य प्रदेश बॉर्ड पर रोक लिया गया था. इसके बाद वो भीलवाड़ा में जहाजपुर के विधायक धीरज गुर्जर की बाइक पर बैठ गए और वहां से मंदसौर के लिए रवाना हो गए. पुलिस ने बाइक रोकी तो चकमा देने के लिए कांग्रेस नेता जीतू पटवारी की बाइक से आगे निकले. आगे पुलिस ने फिर रोका तो रास्ता बदल कर नीमच के लिए पैदल रवाना हो गए.
 
 
दोपहर करीब 12 बजे नीमच जिले के नयागांव में राहुल गांधी कांग्रेस नेता जीतू पटवारी की बाइक पर दिखे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. राहुल पहले पुलिस वालों पर उखड़े और फिर शिवराज सरकार पर भड़क गए. राहुल के साथ कांग्रेस नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और जेडीयू नेता शरद यादव थे. राहुल अड़ गए कि वो जमानत नहीं लेंगे. करीब 4 घंटे बाद उन्होंने जमानत ली और तब उन्हें पीड़ित किसानों के परिवार से मिलने दिया गया. 
 
 
मंदसौर पुलिस फायरिंग को लेकर सरकार को अपना बयान बदलना पड़ा है. सरकार अब तक यही कहती रही कि पुलिस ने फायरिंग नहीं की लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुए खुलासे के बाद सरकार के दावों की पोल खुल गई है. प्रदेश के गृह मंत्री के लिए अपने पहले बयान से पल्ला झाड़ना मुश्किल हो गया.
 
पोस्टमॉर्टम में किसानों के जिस्म से निकले बुलेट वही हैं जो पुलिस के हथियारों से फायर किए जाते हैं. चूंकि ऐसे हथियारों के लाइसेंस आम लोगों को नहीं दिए जाते ना ही अपराधियों के पास ऐसे हथियार होते हैं. ऐसे में पहली नज़र में पुलिस फायरिंग की बात मानी गई है. वैसे भी पुलिस ने फायरिंग न की होती तो 5 से 10 लाख और फिर मुआवजे की रकम को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए क्यों किया होता? 
 
 
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार किसानों के आंदोलन को भड़काने के लिए लगातार कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराती रही, लेकिन आंदोलन के पूरे घटनाक्रम को खंगालें तो ये साफ हो जाता है कि कहीं न कहीं चूक शिवराज सरकार से ही हुई है.

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