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खुफिया रिपोर्ट में खुलासा, मायावती के इस करीबी ने दी सहारनपुर हिंसा को हवा !

लखनऊ: सहारनपुर की घटना में जिस भीम सेना का नाम सामने आ रहा है उसे लेकर खुफिया विभाग की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भीम सेना का यूपी की एक पूर्व सत्ताधारी पार्टी ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए भीम सेना की मदद की.
भीम आर्मी के चंद्रेशखर को ‘रावण’ किसने बनाया ?
सहारनपुर में हुई हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश के खुफिया विभाग ने जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. उसमें इन सवालों के जवाब भी छिपे हैं. खुफिया रिपोर्ट ये इशारा कर रही है कि सहारनपुर में हुई हिंसा एक साजिश का नतीजा थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मायावती के भाई आनंद कुमार ने भीम सेना की मदद की. रिपोर्ट में कहा गया है कि आनंद कुमार भीम आर्मी को फंड मुहैया करा रहे थे. सूत्रों के मुताबिक ये बात भी सामने आई है कि पिछले दिनों भीम आर्मी के अकाउंट में 45-50 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे. यूपी पुलिस के सामने अब भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण को पकड़ने की चुनौती है. चंद्रशेखर रावण 9 मई से ही फरार चल रहा है.
भीम सेना के सियासी संरक्षक कौन?
भीम सेना का गठन हुए अभी दो साल भी नहीं हुए हैं. लेकिन इसकी चर्चा दलितों के साथ ही गैर-दलितों में भी हो रही है. इस संगठन से हजारों युवा जुड़े हैं जिनके हाथों में एंड्रॉयड फोन हैं. ये फेसबुक और ट्विटर पर भी सक्रिय हैं. फेसबुक पर भीम आर्मी के कई पेज हैं. यहां तक कि जिलों के नाम से भी अलग-अलग पेज हैं. अब तक इसके पीछे एक वकील चंद्रशेखर का नाम आ रहा था. पहली बार यूपी सरकार की खुफिया रिपोर्ट से राजनीतिक संरक्षण का खुलासा हुआ है.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि भीम आर्मी को कॉलेज में पढ़ने वाले दलित छात्रों को उकसाने के प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. 2015 में दलित छात्रों की शिक्षा के नाम पर शुरू हुई भीम आर्मी ने पहला बवाल सितंबर 2016 में मचाया. तब सहारनपुर के छुटमलपुर इलाके में एक इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के खिलाफ भीम आर्मी ने ज़बर्दस्त विरोध-प्रदर्शन किया था.
भीम आर्मी के नेटवर्क के विस्तार पर खुफिया एजेंसियां तब चौकन्नी हुईं, जब दिल्ली में जंतर-मंतर पर भीम आर्मी ने हजारों की भीड़ जुटाकर सहारनपुर में दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन किया. खुफिया एजेंसियों को तभी शक हुआ कि किसी मजबूत समर्थन और मोटा पैसा जुगाड़ किए बिना इतनी जल्दी, इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा करना संभव नहीं है.
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