नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन के बाद अब उनकी वसीयत सामने आई है, जिसमें उन्होंने कुछ ऐसी बातें लिखी हैं जो हर किसी के दिल को छू जाएगी. 2012 में लिखी वसीयत में उन्होंने कहा था, ‘मेरी याद में मूर्ति के बजाए पेड़ लगाएं.’
इसके अलावा उन्होंने नर्मदा नदी के किनारे के बांद्राभान में अपना अंतिम संस्कार करने की बात भी लिखी थी. माधव दवे ने वसीयत में लिखा है कि उनके अंतिम संस्कार में केवल वैदिक कर्म ही हो, किसी भी प्रकार का दिखावा या आडंबर ना किया जाए. दवे ने लिखा है, ‘मेरी याद में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरुस्कार, प्रतिमा इत्यादि जैसे विषय ना बनाए जाएं.’
पर्यावरण मंत्री अनिल दवे काफी सादगी भरा जीवन पसंद करते थे और इसकी झलकियां उनकी वसीयत में भी दिखाई देती है. उनकी वसीयत में साफ दिखाई देता है कि उन्हें पर्यावरण से काफी प्यार था, क्योंकि उन्होंने अपनी वसीयत में हर किसी से पौधे लगाने की अपील की है.
वसीयत में लिखा है, ‘जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहता है वे कृप्या वृक्षारोपण करें, वृक्षों को संरक्षित करें, ऐसा करेंगे तो मुझे बहुत आनंद होगा. जलाशयों के संरक्षण में भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार अधिकतम प्रयत्न भी किए जा सकते हैं. ऐसा करने पर भी मेरे नाम का प्रयोग ना किया जाए.’
बता दें कि अनिल दवे का अंतिम संस्कार पहले इंदौर में किया जा रहा था, लेकिन उनकी वसीयत मिलने के बाद जगह बदल दी गई. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि माधव दवे की वसीयत मिली है, जिसमें लिखा है कि उनका अंतिम संस्कार नर्मदा के किनारे बांद्रा भान में किया जाए.
माधव दवे का पार्थिव शरीर आज शाम करीब 5 बजे विशेष विमान से भोपाल लाया जाएगा, जिसके बाद कल सुबह दस बजे होशंगाबाद के शिवनेरी आश्रम में बांद्रा भान में किया जाएगा.