पंजाब: आम आदमी पार्टी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पंजाब के पूर्व कन्वीनर गुरप्रीत गुग्गी ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा है कि मैं भगवंत के साथ काम नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा कि मैं भले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुका हूं, मगर पंजाब और पंजाबियत के लिए हमेशा खड़ा रहुंगा. उन्होंने पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी अपने सिद्धांतों से भटक चुकी है.
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात से कोई नराजगी नहीं है कि किसी को प्रधान बनाया गया है. बात बस इतनी है कि जब सुच्चा सिंह छोटेपुर को हटाया गया था, तब मुझे प्रधान बनाया गया था. हालांकि, उस समय भगवंत का नाम भी रेस में शामिल था. मगर सवाल ये है कि उस समय भगवंत मान में क्या कमी थी कि उसे नहीं बनाया गया था, मगर अब क्या खूबी आ गयी है, जो उसे बना दिया गया.
गुरप्रीत गुग्गी ने कहा की मैं चाहता तो किसी भी पार्टी का हिस्सा बन सकता था. जब मुझे प्रधान बनाया गया तो उस समय आप को ऐसा चेहरा चाहिए था कि वो ईमानदार हो. कई नामों के बाद मेरा नाम चुना गया था. उस समय अरविन्द केजरीवाल को मैं मना नहीं कर सका था. हालांकि, उन्होंने कहा कि मुझे किसी वयक्ति के प्रधान बनने से आपत्ति नहीं है, पर प्रक्रिया सही नहीं थी.
गुरप्रीत गुग्गी के इस्तीफे के ऐलान के बाद पार्टी से निकाले गये कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा है कि गुरप्रीत भाई, आप पार्टी मच छोड़ो. ये हमारी पार्टी है. अधिकतर कार्यकर्ता ईमानदार हैं. बस 5 से 6 लोग ही भ्रष्ट हैं. हम लोग सब साफ कर देंगे.
उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कौन सी चुनाव की प्रक्रिया है? जैसे मुझे घर पर सोफे पर बिठा कर अरविन्द ने प्रधान बनाया था, वैसे ही नए प्रधान के बारे में फैसला लेने से पहले बात कर सकते थे. मुझे रिकवेस्ट करके प्रधान बनाया था. मुझे आदेश कहकर कह देते कि छोड़ दो तो मैं ये पद छोड़ देता.
उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी के लिए सब किया. कोई भी हमेशा के लिए प्रधान नहीं रहता. जो नया बना है वो भी सदा नहीं रहेगा. पर मुझे धोखा दिया गया. मुझसे आपत्ति यह थी मैंने दिल्ली के ऑवजर्वर्स जो पंजाब चुनाव में काम कर रहे थे, उनके खिलाफ शिकायत की थी कि उन्हें वापिस भेज जाए. पार्टी के प्रधान बनने के बाद मैंने सुच्चा सिंह छोटेपुर का वीडियो दिखाने की कई बार मांग की, लेकिन वो वीडियो कभी मुझे नहीं दिखाया गया
बता दें कि घुग्गी अपनी जगह धर्मवीर गांधी को प्रधान बनाने की मांग कर रहे थे. उन्होंने भगवंत मान पर निशाना साधते हुए कहा कि उनसे बेहतर पार्टी में लोग थे, जिन्हें कन्वीनर बनाया जा सकता था.