मुंबई: अपने चार दिवसीय दौरे पर निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को मुंबई में मैथिली समन्वय समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के लोग कहीं भी चले जाएं, मगर वो किसी पर बोझ नहीं बनते. उन्होंने कहा कि बिहार की तरह ही महाराष्ट्र सरकार को भी यहां पूर्ण शराबबंदी करनी चाहिए. कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने मराठी में लोगों का अभिवादन किया.
नीतीश कुमार ने कृषि पर चिंता जताते हुए कहा कि देश में कृषि संकट है. यही वजह है कि कभी धनाड्य समझे जाने वाला समाज, जैसे जाट. मराठा और पाटीदार भी आरक्षण की मांग कर रहा है. नीतीश ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि तीन साल बीत गये मगर पीएम मोदी मिनिमम सपोर्ट प्राइसल पर किये गये वादे भूल गये. अब वे नई बात कर रहे हैं कि वे पांच सालों में किसानों की आय दुगुनी कर देंगे.
कार्यक्रम में अपने काम गिनाते हुए उन्होंने कहा कि हमारी कामों की वजह से बिहार के लोग अत्महत्या नहीं करते. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से सरकार को नुकसान हुआ, मगर जितना नुकसान हुआ, उतना पैसा हमारे बिहार के लोगों का बच गया. शराबबंदी के बाद से बिहार में दूध, मिठाई, फर्नीटरक और दूसरी चीजों की बिक्री बढ़ गई है.
उन्होंने शराबबंदी की पूरजोर वकालत करते हुए कहा कि गोवा में डिप्रेस्ड महिलाओं की संख्या बहुत है. वे अनपी पतियों के शराब पीने की वजह से डिप्रेस्ड रहती हैं. बिहार में शराब बंदी के बाद से टूरिस्टों की संख्या काफी बढ़ी है.
भाजपा को रोकने के लिए नीतीश कुमार ने कहा कि विपक्ष को एकजुट होनी की जरूरत है. सबको साथ में आना चाहिए. इस देश को गांधी के विचारों को अपनाने की जरूरत है. जो कि कुछ लोग गोडसे के विचारों को फैला रहे हैं.
भापपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों की आज़ादी में कोई भूमिका नहीं है, वही राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं. जो तिरंगे को मानते नहीं थे, वो आज राष्ट्रभक्ति की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि कम से कम इसी बहाने बीजेपी और संघ वालों ने तिरंगे को मान तो लिया.