लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की सत्ता संभालने के बाद महज एक महीने के अंदर ही कई बड़े फैसले ले लिए हैं. उन्होंने कई नए फैसले तो लिए ही हैं, साथ ही साथ पूर्व सीएम अखिलेश यादव के भी कई फैसले उन्होंने बदल दिए हैं. अब एक बार फिर सीएम योगी ने नया फैसला ले लिया है.
योगी सरकार ने यूपी के सर्वोच्च सम्मान यश भारती की जांच करवाने के आदेश दे दिए हैं. इस अवॉर्ड की शुरुआत मुलायम सिंह यादव ने 1994 में की थी, लेकिन अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने यश भारती पुरस्कार की गहन समीक्षा का निर्देश दिया है. योगी ने कहा कि ये पुरस्कार किस आधार पर दिए गए हैं, इसकी समीक्षा की जाए.
क्या है यश भारती सम्मान?
यश भारती सम्मान यूपी से संबंध रखने वाले ऐसे लोगों को दिया जाता है जिन्होंने संस्कृति, साहित्य, कला या खेलकूद के क्षेत्र में प्रतिष्ठा हासिल की हो और राज्य का नाम ऊंचा किया हो. इस सम्मान के साथ 11 लाख रुपए भी दिए जाते हैं, साथ ही सम्मान पाने वाले शख्स को जीवन भर 50 हजार रुपए की पेंशन भी मिलती है.
यह पुरस्कार हरिवंश राय बच्चन, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, नसिरुद्दीन शाह, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, शुभा मुद्गल, रीता गांगुली, रेखा भारद्वाज, कैलाश खेर, रविंद्र सिंह, अरुणिमा सिन्हा, भुवनेश्वर कुमार और पीयूष चावला जैसी हस्तियों को दिया जा चुका है.
बता दें कि मुलायम सिंह यादव ने 1994 में इस सम्मान की शुरुआत की थी, जिसे मायावती ने अपने शासन में बंद करवा दिया था, लेकिन साल 2012 में अखिलेश यादव ने इसे दोबारा शुरू करवा दिया.