नई दिल्ली. अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार सहित 13 नेताओं पर आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा है कि आडवाणी और जोशी के लिए यह सबसे बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि दोनों ही राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के दावेदार बताए जा रहे थे.
1853 में अयोध्या में मंदिर मस्जिद को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने के नाम नहीं ले रहा है. तब से लेकर अब तक अयोध्या के नाम पर बहुत कुछ हो सकता है.
164 सालों में कब क्या हुआ
– दस्तावेजों में दर्ज बात माने तो पहली बार 1853 में अयोध्या में मंदिर और मस्जिद को लेकर हिंसा हुई थी. उस समय यह अवध क्षेत्र के नवाब वाजिद अली शाह के शासन क्षेत्र में अयोध्या आती थी. हिंदू धर्म को मानने वाले निर्मोही पंथ के लोगों ने दावा किया था कि मंदिर को तोड़कर यहां पर बाबर के समय मस्जिद बनवाई गई थी.
– 1859 में ब्रिटिश प्रशासन ने वहां पर तार लगवा दिए और दोनों समुदायों के पूजास्थल को अलग-अलग कर दिया. जिसमें मुस्लिमों को अंदर की जगह दी गई जबकि हिंदुओं को बाहर पूजा करने की इजाजत दी गई.
– 1885 में महंत रघुबीर दास ने अदालत में गुहार की वह राम चतूबरा पर छतरी लगाना चाहते हैं. जो कि मस्जिद से बाहर था लेकिन फैजाबाद की अदालत ने उनकी अपील को खारिज कर दिया.
– 1949 में मस्जिद के अंदर से भगवान राम की एक मूर्ति मिलने का दावा किया गया. हालांकि इसके बारे में कहा गया कि यह किसी हिंदू संगठन ने लाकर यहां पर रख दिया. दो पक्षों की ओर से एक बार फिर से जमीन पर दावा ठोंका गया. सरकार ने इसे विवादित जमीन घोषित कर दिया और परिसर में ताला जड़ दिया गया.
– 1950 में गोपाल सिंह विशारद और महंत परमहंस रामचंद्र दास की ओर से एक फैजाबाद की अदालत में एक याचिका दी गई दर्ज कराया कि जिसमें मांग की गई कि वह बरामद मूर्ति की जन्मस्थान पर पूजा करना चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने परिसर के बाहर पूजा करने की इजाजत दे दी.
-1959 में निर्मोही अखाड़ा की ओर से तीसरी याचिका डाली गई जिसमें विवादित जमीन पर कब्जे और राम जन्मभूमि के संरक्षका होने का दावा किया गया.
-1961 में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की ओर से याचिका दाखिल की गई जिसमें मस्जिद के अंदर मूर्ति रखने का विरोध किया गया और दावा किया गया मस्जिद और आसपास का इलाके में कब्रिस्तान था.
-1984 में हिंदुओं की ओर से एक समिति बनाई गई और राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन शुरू किया गया. भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस आंदोलन के नेता बने.
-1986 में फैजाबाद की अदालत ने आदेश मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया और हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. इसके लिए याचिका हरी शंकर दुबे ने डाली थी. मुसलमानों ने इसका विरोध किया और इस बीच बाबरी एक्शन कमेटी बना दी गई.
-1989 में विश्व हिंदू परिषद की ओर से बाबरी मस्जिद के ठीक बगल में राम मंदिर की आधारशिला रखी गई. वीएचपी के उपाध्यक्ष जस्टिस देवकी नंदन सहाय की ओर से याचिका डाली गई जिसमें मांग की गई बाबरी मस्जिद को कहीं और स्थानांतरित कर दिया जाए. इस मामले में चार याचिकाएं जो फैजाबाद कोर्ट में लंबित थीं उन्हें हाईकोर्ट भेज दिया गया.
-1990 में वीएचपी के कुछ कार्यकर्ताओं ने मस्जिद को आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचाया. तत्तकालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने मामले में हस्तक्षेप किया और दोनों पक्षों में समझौता कराने की कोशिश की. सितंबर में एलके आडवाणी ने अयोध्या आंदोलन को लेकर रथयात्रा शुरू कर दी. यह यात्रा सोमनाथ से लेकर शुरू हुई और अयोध्या में खत्म हुई.
-1991 में बीजेपी केंद्र में मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी और उत्तर प्रदेश में उसकी सरकार बन गई. मंदिर आंदोलन चरम पर पहुंच गया और अयोध्या में लाखों कारसेवक पहुंचने लगे.
-1992 में अचानक एक दिन मस्जिद के आसपास कारसेवकों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई. ये तारीख थी 6 दिसंबर. इन कारसेवकों में शिवसेना, वीएचपी, बीजेपी के कार्यकर्ता भी शामिल थे. मस्जिद गिरा दी गई थी. इस दौरान भारत के इतिहास में अब तक सबसे खतरनाक दंगे पूरे देश में भड़क चुके थे जिसमें 2 हजार लोग मारे गए थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहा राव ने पूरे मामले की जांच के लिए जस्टिस लिब्राहन आयोग बैठा दिया.
-2001 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन फिर से तनाव बढ़ गया और वीएचपी ने फिर से दावा किया कि वह मंदिर बनाने के अपने दावा पर अटल है.
-2002 के फरवरी महीने में गुजरात में गोधरा कांड हो गया. इस घटना में साबरमती एक्सप्रेस में सवार 59 कारसेवकों की बोगी में किसी ने आग लगा दी. ये सभी कारसेवक मारे गए. इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगा फैल गया जिसमें 1000 लोग मारे गए.
-2002 में ही हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आदेश दिया कि वह विवादित स्थल की खुदाई करे. इसी साल हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू की.
-2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने जमीन का उत्खनन शुरू कर दिया. जिसमें वहां पर मंदिर होने के सबूत का दावा किया गया. मुस्लिम संगठनों ने एएसआई की रिपोर्ट का विरोध किया. सितंबर में निचली अदालत ने आदेश दिया कि 7 हिंदूवादी नेताओं के खिलाफ हिंसा फैलाने और बाबरी विध्वंस के मामले में मुकदमा चलेगा. कोर्ट ने इस मामले में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी के खिलाफ कोई आदेश नहीं दिया.
-2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई. इस बीच यूपी की एक अदालत ने आडवाणी को मामले से छूट देने के मामले में समीक्षा करने का आदेश सुना दिया.
-2005 में अयोध्या के विवादित स्थल पर आतंकी हमला हुआ. सुरक्षाबलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया.
-2009 में नरसिंहा राव के आदेश पर बने लिब्रहान आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी. जिसको लेकर संसद में खूब हंगामा मचा. रिपोर्ट में बीजेपी नेताओं पर बाबरी विध्वंस की साजिश में शामिल होने का आरोप था.
-2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की तीन जजों की बेंच ने विवादित स्थल के मालिकान हक पर फैसला सुना दिया. इस फैसले के मुताबिक जमीन के तीन हिस्से किए गए जिसमें एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा, दूसरा हिस्सा रामलला और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंप दिया गया. इस फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड और अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से अपील की गई.
-2011 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के पर रोक लगा दी और यथास्थित बनाए रखने का आदेश दिया.
-2014 में केंद्र में मोदी की सरकार बनी.
-2015 में वीएचपी ने ऐलान किया कि वह राम मंदिर बनाने के लिए पूरे देश से पत्थर और ईंटे इकट्ठा करेगी. 6 महीने के बाद दो ट्रक पत्थर अयोध्या पहुंचा दिए गए. महंत नृत्यगोपाल दास ने दावा किया कि मोदी सरकार की ओर से मंदिर बनाने के लिए हरी झंडी मिल गई है. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी सरकार अयोध्या में पत्थर पहुंचाने की इजाजत नहीं देगी.
-2017 मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद विवाद में आडवाणी और दूसरे नेताओं के खिलाफ आरोप खारिज नहीं किए जा सकते.
-2017 में मार्च को ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या मामला काफी संवेदनशील है इसको दोनों ही पक्ष कोर्ट के बाहर सुलझा लें तो ज्यादा अच्छा है.
-2017 में 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में एलके आडवाणी सहित बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया.