श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए 38 मतदान केंद्रों पर बुधवार को हुए पुनर्मतदान पर अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार का काफी असर पड़ा. रविवार को हुई हिंसा की वजह से यहां पर मात्र 2.02 फीसद ही मतदान हुआ.
यहां के 27 मतदान केंद्रों पर एक भी वोट नहीं पड़े. कुल 35169 मतदाताओं में से मात्र 709 ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. यह कश्मी में अब तक का सबसे कम मतदान है. हालांकि मतदान केंद्रों पर हुई हिंसा के कोई बड़ी घटना नहीं घटी. पूरे कश्मीर शांति छाई रही.
आपको बता दें कि बडगाम जिले के चादूरा, चरार-ए-शरीफ, खानसाहिब और बीरवाह तहसील के 38 मतदान केंद्रों पर दोबारा मतदान के आदेश दिए गए थे, क्योंकि यहां रविवार को हुए चुनाव के दौरान हिंसक झड़प से मतदान ठीक से नहीं पाया था. इस भड़की हिंसा में करीब 8 लोगों की मौत हो गई थी.
इस वजह से हुए पुनर्मतदान में प्रशासन ने सुरक्षा के कई तरह के इंतजाम कर दिए थे. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मतदान का इंतजाम एक ही इमारत में किया गया. इसके अलावा सीआरपीएफ के 300 अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई थी.
बता दें कि रविवार को हुई वोटिंग के दौरान हुई हिंसा की वजह से श्रीनगर में महज 7.14 फीसदी ही वोटिंग हो पाई. कई लोगों ने मतदान केंद्र पर पत्थर फेंके और कई जगहों पर ईवीएम भी तोड़ दी गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हिंसक झड़प में करीब 200 से ज्यादा नागरिक तो वहीं 100 से भी ज्यादा सुरक्षाबलों के घायल हुए. सबसे ज्यादा हिंसा बडगाम जिले में हुई, वहां 5 लोगों की मौत हुई.
इस घटना पर जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अफसोस जताते हुए कहा था कि मरने वालों में ज्यादातर लोग किशोर थे. इस मामले में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूख अब्दुल्ला ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार चुनाव को रद्द कराने के मकसद से बाधा डाल रही है.
गौरतलब है कि रविवार को देश के नौ राज्यों की दस विधानसभा सीटों और श्रीनगर संसदीय सीट पर चुनाव हुए. श्रीनगर में हिंसा के अलावा मध्यप्रदेश में भी छुटपुट हिंसा होने की खबर सामने आई थी, इसके अलावा बाकी राज्यों में चुनाव शांतिपूर्ण ही रहे. मध्य प्रदेश और कर्नाटक के दो-दो, असम, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और दिल्ली की एक-एक विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हुए