धृतराष्ट्र बन गया है चुनाव आयोग, जिसका मकसद BJP को सत्ता में लाना है: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र कह दिया है. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग का सिर्फ एक मकसद रह गया है कि किसी भी तरह बीजेपी को सत्ता दिलाना. आयोग का चुनावी नाटक करके बीजेपी को सत्ता में किसी तरह लाने का मकसद रह गया है.

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धृतराष्ट्र बन गया है चुनाव आयोग, जिसका मकसद BJP को सत्ता में लाना है: केजरीवाल

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  • April 10, 2017 5:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र कह दिया है. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग का सिर्फ एक मकसद रह गया है कि किसी भी तरह बीजेपी को सत्ता दिलाना. आयोग का चुनावी नाटक करके बीजेपी को सत्ता में किसी तरह लाने का मकसद रह गया है.
 
 
चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बन गया !
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बन गया है जो अपने बेटे दुर्योधन को किसी तरह जितना चाहता है. चाहें इसके लिए धृतराष्ट्र को साम-दाम-दंड-भेद कोई भी रास्ता अपनाना हो. बस अपने बेटे को सत्ता पर देखना चाहता है. चुनाव आयोग का मकसद अब चुनाव कराना नहीं रह गया है. अब उसका एक ही मकसद ही कि वह बीजेपी को सत्ता में लाए. 
 
 
केजरीवाल ने सीधे-सीधे चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा दिया. दावा किया कि दिल्ली MCD चुनाव के लिए जिन EVM को राजस्थान के धौलपुर से मंगाया जा रहा है उनमें 18 में खराबी है. लेकिन आयोग इसकी जांच नहीं करा रहा. केजरीवाल ने भिंड मामले को लेकर भी एक बार फिर से अपने आरोप दोहराए. इन आरोपों को चुनाव आयोग पहले ही खारिज कर चुका है.
 
 
चुनाव आयोग पहुंचे 16 विपक्षी दल
ईवीएम में कथित गड़बड़ी की शिकायत को लेकर 16 विपक्षी दलों के नेता आज चुनाव आयोग पहुंचे. गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में आयोग पहुंचे विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की. चुनाव आयोग ने इस मांग को स्वीकार कर लिया. चुनाव आयोग ने कहा कि बैठक में राजनीतिक दल अपना पक्ष रखें जबकि चुनाव आयोग अपना पक्ष रखेगा.
 
आज की मुलाकात में कांग्रेस ने साल के अंत में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव बैलट पेपर से कराने की मांग की है. वहीं, अन्य विपक्षी दल आगे होने वाले सारे चुनाव VVPAT यानी पेपर ट्रेल मशीन से कराने की मांग कर रहे हैं.
 
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि 9 अप्रैल को राजौरी गार्डन विधानसभा सीट पर उपचुनाव में वोटिंग बहुत कम हुई है, इसलिए केजरीवाल को डर है कि अगर अपनी सरकार रहते, अपनी ही खाली की हुई सीट हार गए तो जनता को क्या जवाब देंगे ? चूंकि पंजाब और गोवा के बाद दिल्ली में ही चुनाव होने थे, इसलिए उन्होंने पहले से ही ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उछालना शुरू कर दिया.
 
हालांकि चुनाव आयोग ने पहले तो ईवीएम की गड़बड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया था, लेकिन अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है, लिहाजा चुनाव आयोग को केजरीवाल की बात सुननी पड़ी. सुप्रीम कोर्ट में 13 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई होनी है कि सभी ईवीएम के साथ वोटर वेरिफिकेशन पेपर ऑडिट ट्रेल का इस्तेमाल किया जाए. सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है कि 2019 तक VVPAT सौ फीसदी लागू किया जाए.

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